सबरीमाला में प्रवेश के लिए महिला की याचिका पर SC करेगा सुनवाई
सबरीमाला में प्रवेश के लिए महिला की याचिका पर SC करेगा सुनवाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट उस महिला की याचिका पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है, जिसे सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने से रोका गया था। महिला का नाम बिंदु अमीनी है, जिनकी याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होनी है। उनका आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा साल 2018 में दिए गए फैसले के बावजूद भी उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से रोका गया। वहीं बिंदु की वकील इंदिरा जयसिंह ने बताया कि मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश के चलते उनकी क्लाइंट (बिंदु) पर पुलिस कमिश्नर के कार्यालय के बाहर हमला किया गया था।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "हम अगले हफ्ते पूर्व याचिका के साथ इस याचिका पर भी सुनवाई करेंगे।" हालांकि चीफ जस्टिस बोबडे का यह भी कहना है कि साल 2018 में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर जो फैसला दिया गया था, वह अंतिम फैसला नहीं है। बेंच ने कहा कि "2018 का निर्णय "अंतिम शब्द" नहीं है, क्योंकि यह मामला विचार करने के लिए सात सदस्यीय बेंच के पास भेजा गया है।"
क्या था फैसला ?
बता दें कि 28 सितंबर 2018 को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था। पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पांच सदस्यों वाली संवैधानिक बेंच ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को संविधान की धारा 14 का उल्लंघन बताया था। बेंच ने कहा था कि "हर किसी को बिना किसी भेदभाव के मंदिर में पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए।" इसके अलावा बेंच ने इस पाबंदी को भेदभावपूर्ण और मौलिक अधिकारों का हनन भी करार दिया था।
प्रवेश पर रोक क्यों ?
प्रवेश प्रतिबंध का समर्थन करने वाले यह भी तर्क देते हैं कि यह परंपरा पिछले कई वर्षों से चली आ रही हैं। कुछ लोग यह बताते हैं कि इस मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है और वे "अविवाहित" थे, इसलिए हर आयु वर्ग की महिलाओं का यहां प्रवेश करना बाधित है। वहीं कुछ लोग यह दावा करते हैं कि मंदिर में प्रवेश करने के लिए श्रद्धालुओं का कम से कम 41 दिनों तक व्रत रखना जरूरी होता है। ऐसे में महिलाएं 41 दिनों तक व्रत नहीं रख सकती, क्योंकि वह मासिक धर्म से गुजरती हैं।
दरअसल हिंदू धर्म में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को "अपवित्र" माना जाता है। इसी कारण न सिर्फ सबरीमाला, बल्कि कई मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर उन्हें रोक दिया जाता है। चूंकि 10 साल की बच्चियों को मासिक धर्म नहीं आता है और 50 साल की उम्र तक महिलाओं का मासिक धर्म खत्म हो जाता है, इसलिए 10 से 50 साल आयु तक की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में नहीं जाने दिया जाता है।