Contempt Case: प्रशांत भूषण ने कहा- टोकन फाइन का मतलब फैसला स्वीकार करना नहीं, SC में दायर की समीक्षा याचिका

Contempt Case: प्रशांत भूषण ने कहा- टोकन फाइन का मतलब फैसला स्वीकार करना नहीं, SC में दायर की समीक्षा याचिका

Bhaskar Hindi
Update: 2020-09-14 13:13 GMT
Contempt Case: प्रशांत भूषण ने कहा- टोकन फाइन का मतलब फैसला स्वीकार करना नहीं, SC में दायर की समीक्षा याचिका
हाईलाइट
  • प्रशांत भूषण ने आपराधिक अवमानना ​​मामले में एक रुपए का फाइन भरा
  • भूषण ने कहा- टोकन फाइन का मतलब यह नहीं है कि उन्होंने फैसला स्वीकार किया
  • सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका भी दायर की

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक्टिविस्ट लॉयर प्रशांत भूषण ने सोमवार को आपराधिक अवमानना ​​मामले में एक रुपए का फाइन भरा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका भी दायर की है। प्रशांत भूषण ने फाइन भरने के बाद कहा कि टोकन फाइन का मतलब यह नहीं है कि उन्होंने फैसला स्वीकार कर लिया है। भूषण ने कहा, ‘एक ट्रुथ फंड बनाया जा रहा है। जिसका पैसा उनके लिए इस्तेमाल होगा, जो सरकार के खिलाफ बोलने के कारण परेशान किए जा रहे हैं।’

अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में
प्रशांत भूषण ने कहा, ‘भारत मे आज अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में है। जो लोग सरकार के खिलाफ बोलते है, उनका मुंह बंद करने के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाया जा रहा है। सरकार के खिलाफ बोलने की वजह से ही उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही सीतराम येचुरी और दूसरे नेताओं को परेशान किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे लोगों की मदद के लिए जन-जन से एक-एक रुपया जमा कर ट्रुथ फंड बनाया जा रहा है।

क्या है मामला?
बता दें कि प्रशांत भूषण ने 27 जून को अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ और दूसरा ट्वीट चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के खिलाफ किया था। सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को आपराधिक अवमानना के लिये दोषी ठहराया था और एक रुपए का सांकेतिक जुर्माना भरने के लिए कहा था। कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रशांत भूषण ने कहा था, मैं फैसला मान रहा हूं लेकिन अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए चुनौती जरूर दूंगा। उन्होंने कहा था, मैं खुशी-खुशी जुर्माना भरने के लिए तैयार हूं, एक जिम्मेदार नागरिक की तरह जुर्माना भरूंगा। उन्होंने कहा था, मेरे हृदय में सुप्रीम कोर्ट के लिए पूरा सम्मान है।

पहला ट्वीट
प्रशांत भूषण ने अपने पहले ट्वीट में लिखा था कि जब भावी इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे।  

दूसरा ट्वीट
दूसरा ट्वीट उन्होंने 29 जून को चीफ जस्टिस बोबड़े के खिलाफ किया था। प्रशांत भूषण ने कहा था, भारत के चीफ़ जस्टिस ऐसे वक़्त में राज भवन, नागपुर में एक बीजेपी नेता की 50 लाख की मोटरसाइकिल पर बिना मास्क या हेलमेट पहने सवारी करते हैं जब वे सुप्रीम कोर्ट को लॉकडाउन में रखकर नागरिकों को इंसाफ़ पाने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर रहे हैं।

Tags:    

Similar News