बोगतुई के जलने के दौरान पुलिस ने संकटकालीन कॉलों को नजरअंदाज किया
सीबीआई चार्जशीट बोगतुई के जलने के दौरान पुलिस ने संकटकालीन कॉलों को नजरअंदाज किया
- बोगतुई के जलने के दौरान पुलिस ने संकटकालीन कॉलों को नजरअंदाज किया : सीबीआई चार्जशीट
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा नरसंहार के संबंध में दायर आरोपपत्र के अनुसार, पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में हिंसा के दौरान पुलिस ने लापरवाही बरती, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई।
सोमवार को बीरभूम के रामपुरहाट में निचली अदालत में पेश किए गए 1,193 पन्नों के आरोपपत्र में केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि स्थानीय पुलिस ने ग्रामीणों के हताश कॉल को नजरअंदाज कर दिया, जबकि 21 मार्च को बोगतुई जल रहा था।
इसी साल 21 मार्च को तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज और पंचायत उप प्रमुख वडू शेख की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। उसके बाद, बोगतुई में बड़ा तनाव और हिंसा भड़क उठी, कई घरों में आग लगा दी गई। हादसे में महिलाओं और बच्चों समेत आठ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। बाद में एक और महिला की अस्पताल में मौत हो गई, जिससे नरसंहार में मरने वालों की संख्या 10 हो गई।
सीबीआई के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, सीबीआई के उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि आरोपपत्र में मुख्य आरोपी अनारुल हुसैन समेत 17 लोगों के नाम हैं। हमारी जांच के दौरान, 21 मई को जब नरसंहार चल रहा था, हमने कई स्थानीय ग्रामीणों से बात की है और उनमें से कई ने कहा कि स्थानीय पुलिस थानों में बार-बार कॉल करने के बावजूद स्थानीय पुलिस की ओर से कोई भी रात को मौके पर नहीं पहुंचा।
यह भी उल्लेख किया गया है कि दंगाइयों ने घरों में आग लगाने से पहले मुख्य निकास को बंद कर दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई बच न सके।
सीबीआई ने सोमवार को वडू शेख हत्याकांड में एक अलग चार्जशीट भी दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने चार लोगों के नाम लिए थे।
आईएएनएस
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