प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र राजभवन में क्रांतिकारियों के पहले भूमिगत संग्रहालय का अनावरण किया
मुंबई प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र राजभवन में क्रांतिकारियों के पहले भूमिगत संग्रहालय का अनावरण किया
- इस अवसर पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी
- बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता
- उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यहां महाराष्ट्र राजभवन में देश का पहला भूमिगत संग्रहालय, गैलरी ऑफ रिवोल्यूशनरीज- क्रांतिकारी गाथा का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा, जाने या अनजाने में हम भारत की स्वतंत्रता को कुछ घटनाओं तक सीमित रखते हैं, जहां संघर्ष में अनगिनत लोगों की तपस्या शामिल थी और स्थानीय स्तर पर कई उदाहरणों का सामूहिक प्रभाव राष्ट्रीय था। मोदी ने कहा, साधन अलग थे, लेकिन संकल्प एक ही था। सामाजिक, पारिवारिक, या वैचारिक भूमिकाओं के बावजूद, आंदोलन का स्थान, चाहे देश के भीतर हो या विदेश में, लक्ष्य एक था - भारत की पूर्ण स्वतंत्रता।
प्रधानमंत्री ने वासुदेव बलवंत फड़के, दामोदर हरि चापेकर और विष्णु हरि चापेकर (चापेकर ब्रदर्स), लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, भीकाईजी रुस्तम कामा (मैडम कामा) आदि जैसे दिग्गजों के बहुस्तरीय योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम स्थानीय और विश्व स्तर पर फैला हुआ है और गदर पार्टी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज और श्यामजी कृष्ण वर्मा के इंडिया हाउस के उदाहरणों का हवाला देते हुए स्थानीय से वैश्विक तक यह भावना हमारे आत्मनिर्भर भारत अभियान का आधार है। अनसुने नायकों के प्रति उदासीनता बहुत लंबे समय तक जारी रही पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री ने खेद व्यक्त किया कि कैसे महान स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा के अवशेषों के भारत पहुंचने के लिए लंबे समय तक इंतजार किया गया। वह (मोदी) खुद उन्हें कुछ साल पहले भारत वापस लाए।
इस मौके पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि अभी 3 महीने पहले राष्ट्रपति ने राजभवन के दरबार हॉल का उद्घाटन किया था और आज प्रधानमंत्री क्रांतिकारियों की गैलरी का अनावरण करने आए हैं। ठाकरे ने कहा, क्रांति गाथा का उद्घाटन न केवल एक संयोग है, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मनाने का एक महान क्षण है। सवाल यह उठता है कि क्या हम इस स्वतंत्रता का आनंद उठा सकते थे, यदि यह सर्वोच्च बलिदान नहीं होते। हमने इसके लिए लड़कर आजादी हासिल की है और अब हमें इसे संजोकर रखना चाहिए।
इस अवसर पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। क्रांतिकारियों की गैलरी 2016 में तत्कालीन महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव द्वारा खोजे गए प्रथम विश्व युद्ध के ब्रिटिश-युग के बंकर में आई है। 13 बड़े और छोटे कक्षों, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था और अन्य सुविधाओं के साथ इसका उपयोग पहले ब्रिटिश शासकों द्वारा हथियारों और गोला-बारूद के गुप्त भंडारण डिपो के रूप में किया जाता था। 2019 में भूमिगत बंकर को संरक्षित और पुनर्निर्मित करने और इसे महाराष्ट्र के क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित अपनी तरह के पहले संग्रहालय में बदलने का निर्णय लिया गया।
आईएएनएस
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