फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन के अप्रूवल की प्रक्रिया फाइनल स्टेज में, सीईओ ने कहा- उम्मीद है जल्द हम समझौते को अंतिम रूप देंगे
फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन के अप्रूवल की प्रक्रिया फाइनल स्टेज में, सीईओ ने कहा- उम्मीद है जल्द हम समझौते को अंतिम रूप देंगे
- CEO ने कहा- समझौते को जल्द अंतिम रूप देंगे
- एक और विदेशी टीके की उम्मीद
- भारत में फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी की प्रक्रिया आखिरी दौर में
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन के अप्रूवल की प्रक्रिया अंतिम चरणों में हैं। कंपनी के चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) अल्बर्ट बौर्ला ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। बौर्ला ने हर साल होने वाली बायोफार्मा एंड हेल्थकेयर समिट में कहा, "मुझे उम्मीद है कि बहुत जल्द हम सरकार के साथ एक समझौते को अंतिम रूप देंगे।" पिछले कई दिनों से फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर अपनी वैक्सीन की "जल्द मंजूरी" के लिए भारत सरकार से बात कर रही है।
भारत में फिलहाल सिर्फ तीन कोरोना वायरस वैक्सीन को ही इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। सबसे पहले भारत ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका और भारत बायोटेक की वैक्सीन को मंजूरी दी थी। इसके बाद भारत ने रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक को भी इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। फाइजर की वैक्सीन को अगर अप्रूवल मिल जाता है तो यह भारत में उपयोग के लिए स्पुतनिक वी के बाद दूसरी विदेशी वैक्सीन बन जाएगी। इस मंजूरी से देश में वैक्सीनेशन एक्सरसाइज को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
बीते दिनों ही भारत सरकार ने देश में कोरोना वायरस की वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए विदेश में बनी वैक्सीनों को मंजूरी देने की प्रक्रिया को तेज करने का फैसला लिया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, प्रमुख विदेशी वैक्सीन के एलिजिबल मैन्युफैक्चरर्स को अब भारत में (मंजूरी से पहले) अलग से लोकल क्लीनिकल ट्रायल करने की जरूरत नहीं होगी। इसी के बाद से अमेरिका की फाइजर और मोडर्ना वैक्सीन के अप्रूवल की प्रक्रिया तेज हुई है। फाइजर ने अपनी वैक्सीन के लिए दिसंबर में भी भारत के ड्रग रेग्युलेटर (DCGI) से अनुमति मांगी थी। हालांकि बाद में उन्होंन अपना आवेदन वापस ले लिया था।
बता दें कि फाइजर वैक्सीन को एमआरएनए तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है और यह भारत में वर्तमान में उपलब्ध अन्य टीकों की तरह एक डबल-खुराक वाला टीका है। mRNA तकनीक पर काम करने वाली इस वैक्सीन की एफिकेसी लगभग 95% है, अगर दोनों डोज दिए जाएं। इस वैक्सीन में लोगों के शरीर में mRNA डाला जाता है। इससे शरीर की कोशिकाएं वायरस के प्रोटीन की पहचान कर लेती हैं और सक्रिय हो जाती हैं। वायरस के हमले पर शरीर की कोशिकाएं उसकी पहचान कर लेती हैं और इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाने के लिए सक्रिय हो जाता है।