दिव्यांगजनों के मामले पर हुई बैठक, आम नागरिक की तरह दिव्यांगजनों को सुविधाएं देने पर जोर
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग दिव्यांगजनों के मामले पर हुई बैठक, आम नागरिक की तरह दिव्यांगजनों को सुविधाएं देने पर जोर
- डॉ. डी. एम. मुले ने इस बैठक की अध्यक्षता की
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बुधवार को दिव्यांगों पर अपने पुनर्गठित कोर ग्रुप की पहली बैठक आयोजित की। एनएचआरसी सदस्य, डॉ. डी. एम. मुले ने इस बैठक की अध्यक्षता की और उस गति पर चिंता व्यक्त की जिस गति से यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि सभी सार्वजनिक सुविधाएं किसी भी अन्य नागरिक के समान दिव्यांगजनों को उपलब्ध हों।
बैठक में उन्होंने कहा कि, दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम 2016, प्रत्येक दिव्यांग व्यक्ति को भारत के नागरिक के रूप में अपनी पूर्ण क्षमता का एहसास करने और उन्हें न्याय, गरिमा और समानता उपलब्ध कराने के लिए दिव्यांगों के अनुकूल वातावरण में कार्य करने और लागू करने के लिए एक बड़े ²ष्टिकोण की परिकल्पना करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करता है।
यह केवल पहुंच का मामला नहीं है बल्कि चर्चा का फोकस दिव्यांगजनों की पूरी क्षमता का उपयोग करने पर होना चाहिए। यह परिणामोन्मुखी ²ष्टिकोण के साथ होना चाहिए न कि केवल समस्याओं को सामने लाने के लिए।
उन्होंने बैठक में इस बात को भी रखा कि, एनएचआरसी कोर ग्रुप के सदस्यों और दिव्यांगों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों को देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करनी चाहिए ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं की तलाश की जा सके और दिव्यांगजनों के लिए सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की बेहतरी के लिए पूरे देश में कार्यान्वयन के लिए एक सामान्य ढांचा विकसित किया जा सके।
एनएचआरसी सदस्य न्यायमूर्ति एम. एम. कुमार ने एक संक्षिप्त हस्तक्षेप करते हुए कहा कि, दिव्यांगजनों को अन्य सेवाओं के समान सभी सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
इससे पहले एनएचआरसी के संयुक्त सचिव हरीश चंद्र चौधरी ने कहा कि, आयोग ने विशेष रूप से दिव्यांगजनों के मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए दिव्यांगों पर अपने कोर ग्रुप को पुनर्गठित करने का निर्णय लिया है। दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम, 2016 में दिव्यांगों के अनुकूल सुविधाएं बनाने के लिए कई प्रावधान हैं, जिन्हें जमीनी स्तर पर लागू करने की आवश्यकता है।
दिव्यांगजनों के उप मुख्य आयुक्त मृत्युंजय झा ने कहा कि, केंद्र और राज्यों ने दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम, 2016 के साथ-साथ सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप शहरों और मानव बस्तियों को दिव्यांगों के अनुकूल बनाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।
हालंकि इस बैठक से कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी सामने आए समुदाय आधारित पुनर्वास सेवाएं शामिल हों, निर्णय लेने की प्रक्रिया में दिव्यांग व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित हो, दिव्यांगों के अनुकूल सार्वजनिक परिवहन सुनिश्चित किए जाएं और वीडियो कॉल और एक समर्पित मोबाइल टोल फ्री नंबर द्वारा न्याय तक पहुंचाना सुनिश्चित करें, जिसे दिव्यांग व्यक्तियों की विविध संचार आवश्यकताओं के लिए पुलिस स्टेशनों या अस्पतालों में समान रूप से एक्सेस किया जा सकता है।
(आईएएनएस)