तालिबान शासन को मान्यता देने के खिलाफ ज्यादातर भारतीय : आईएएनएस सर्वे

नई दिल्ली तालिबान शासन को मान्यता देने के खिलाफ ज्यादातर भारतीय : आईएएनएस सर्वे

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-30 09:01 GMT
तालिबान शासन को मान्यता देने के खिलाफ ज्यादातर भारतीय : आईएएनएस सर्वे
हाईलाइट
  • अमेरिकी फौज के जाने के बाद 20 साल बाद इस्लामी समूह ने फिर से सत्ता हासिल की

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान को पिछले साल अगस्त में सत्ता में वापस आए एक साल हो गया है। अमेरिकी फौज के जाने के बाद 20 साल बाद इस्लामी समूह ने फिर से सत्ता हासिल की। तालिबान शासन के बाद दुनिया के विभिन्न देशों ने अफगानिस्तान में अपने मिशन बंद कर दिए। तालिबान के राजधानी शहर पर कब्जा करने के दो दिनों के भीतर भारत ने भी काबुल में अपने दूतावास को बंद कर दिया था। भारत ने हेरात, मजार-ए-शरीफ,जलालाबाद और कंधार में भी अपने वाणिज्य दूतावासों को पूरी तरह से बंद कर दिया।

हालांकि, अफगानिस्तान के भू-रणनीतिक महत्व को जानते हुए, भारत ने इस साल जून में देश में अपने मिशन को फिर से शुरू करने और सत्तारूढ़ व्यवस्था के साथ जुड़ने का एक बड़ा फैसला लिया। काबुल में भारतीय दूतावास खोलने के फैसले को तालिबान के साथ संबंध बनाने की सरकार की नीति के एक बड़े उलटफेर के रूप में देखा जा रहा है। सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने यह जानने के लिए आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया कि क्या भारत को अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देनी चाहिए।

सर्वे में 40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि भारत को अफगानिस्तान की चरमपंथी सरकार को मान्यता नहीं देनी चाहिए। वहीं 28 प्रतिशत लोगों ने तालिबान शासन को मान्यता देने के पक्ष में बात की, वहीं 32 प्रतिशत भारतीय इससे अनजान रहे। सर्वे के दौरान, शहरी और ग्रामीण दोनों उत्तरदाताओं के एक बड़े अनुपात ने जोर देकर कहा कि भारत को तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देनी चाहिए।

सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, 44 प्रतिशत शहरी उत्तरदाताओं और 37 प्रतिशत ग्रामीण उत्तरदाताओं ने कहा कि भारत को तालिबान शासन को मान्यता नहीं देनी चाहिए। इसी तरह, 18-24 साल के उम्र से लेकर 55 साल की उम्र वाले लोगों ने भी अपने विचार साझा किए। सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, 18-24 उम्र वाले 38 प्रतिशत युवा उत्तरदाताओं ने तालिबान सरकार को मान्यता देने के खिलाफ अपने विचार जाहिर किए। वहीं 55 साल से ऊपर के 41 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने तालिबान को मान्यता नहीं देने की बात कही।

 

(आईएएनएस)

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