मंत्रिमंडल के बहाने चुनावी राज्यों पर थी मोदी-शाह की नजर, विस्तार में कितने हुए कामयाब?
मंत्रिमंडल के बहाने चुनावी राज्यों पर थी मोदी-शाह की नजर, विस्तार में कितने हुए कामयाब?
- कैबिनेट विस्तार से चुनावी राज्यों में बनेगी बात!
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। मोदी मंत्रिमंडल का बहुप्रतिक्षित विस्तार हो ही गया। अपने दूसरे कार्यकाल में पीएम नरेंद्र मोदी ने पहली बार विस्तार किया है। इस विस्तार से पहले तमाम उठापटक चलती रहीं। कैबिनेट के 12 मंत्रियों ने एक के बाद एक इस्तीफे दिए। नए चेहरों की पीएम मोदी और पार्टी के पुराने वरिष्ठ नेता बैठक लेते रहे। ये विस्तार इसलिए भी खास था क्योंकि अब कुछ ही समय में पांच राज्यों में चुनाव होना है। जिसमें से उत्तरप्रदेश, गुजरात और काफी हद तक उत्तराखंड भी बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। जाहिर है बीजेपी नहीं चाहेगी कि केंद्र की सत्ता में रहने के बावजूद वो अपने इन राज्यों को हाथ से फिसल जाने दे। इस सोच का असर कैबिनेट विस्तार में साफ नजर आया। जिसमें सभी चुनावी राज्यों के समीकरण साधने की कोशिश की गई।
चुनावी राज्यों पर मोदी की नजर
इस कैबिनेट विस्तार में चुनावी राज्यों पर पूरा फोकस रहा। अगर आसपास के राज्यों से भी कुछ सांसदों को तवज्जो दी गई तो उसका मैसेज भी चुनावी राज्यों के लिए ही था। उत्तरप्रदेश में अपने साथी दलों को साधने के लिए अपना दल की अनुप्रिया पटेल को कैबिनेट में शामिल गया है। बीजेपी बखूबी जानती है कि उत्तरप्रदेश के चुनाव में दूसरे दलों की नजर छोटे दलों पर गड़ी हुई है। ऐसे में उन्हें साथ बनाए रखने के लिए अनुप्रिया को टीम का हिस्सा बनाना जरूरी था। इसके अलावा ब्राह्मण वोटों को जोड़ने और दूसरे जातिगत समीकरण संभालने के लिए अजय कुमार मिश्रा, बीएल वर्मा, कौशल किशोर जैसे चेहरे चुने गए। उत्तरप्रदेश चुनाव में बुंदेलखंड भी अहम रोल अदा करता है। जिसके चलते मध्यप्रदेश के भी बुंदेलखंडी सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक को मोदी कैबिनेट में जगह मिली है। ताकि बुंदेलखंड की अहमियत का मैसेज दिया जा सके। इसी तरह गुजरात और उत्तराखंड से भी सांसदों को मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया है।
गठबंधन को बड़ा मैसेज
इस कैबिनेट विस्तार में बीजेपी ने एनडीए की अलायंस पार्टियों को भी पूरी तवज्जो दी है। बिहार से जेडीयू के सांसद को मौका मिला है तो एलजेपी के नए नए नेता पशुपति पारस को भी मंत्री बनाया गया है। मकसद साफ नजर आता है। बीजेपी ये खूब समझ चुकी है कि आने वाले विधानसभा चुनाव और फिर आम चुनाव से पहले गठबंधन को मजबूती देना जरूरी है। यही वजह है कि विस्तार में सारे दलों को भरपूर मौका मिला है।
सिंधिया, कपिल के बहाने बड़ा मैसेज
ज्योतिरादित्य सिंधिया और कपिल पाटिल जैसे नेताओं का कद मंत्रिमंडल में बढ़ा कर भी मोदी ने बड़ा मैसेज दिया है। बीजेपी ने ये साफ कर दिया है कि दल बदलकर आने वाले नेताओं से किए गए वादे पूरे करने में कोई कोताही नहीं की जाएगी। इसी क्रम में पश्चिम बंगाल के नेताओं को भी कैबिनेट में मौका मिला है। मैसेज लाउड एंड क्लियर है कि बीजेपी पर भरोसा करने वालों का भरोसा नहीं तोड़ा जाएगा। ये कवायद पार्टी की युवा टीम को मजबूत करने के लिए भी है। इस तरह चुनावी समीकरणों को साधने की कोशिश में मोदी कितने कामयबा रहे हैं इसका अंदाजा पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में ही होगा।