सीरम इंस्टीट्यूट के साइरस पूनावाला वैक्सीन कॉकटेल के पक्ष में नहीं, जानिए क्या है वजह?
Mixing Covid vaccines सीरम इंस्टीट्यूट के साइरस पूनावाला वैक्सीन कॉकटेल के पक्ष में नहीं, जानिए क्या है वजह?
- इससे दवा निर्माताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो सकता है
- दो कोविड-19 वैक्सीन की डोज को मिलाना बहुत गलत
- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के चेयरपर्सन साइरस पूनावाला ने कहा
डिजिटल डेस्क,पुणे। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के चेयरपर्सन साइरस पूनावाला ने शुक्रवार को कहा कि दो कोविड-19 वैक्सीन की डोज को मिलाना बहुत गलत है। वे इसके खिलाफ हैं क्योंकि इससे दवा निर्माताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो सकता है। पूनावाला से आईसीएमआर एक स्टडी को लेकर सवाल किया गया था जिसमें कोविशील्ड और कोवैक्सिन के कॉकटेल को बेहतर इम्युनिटी जनरेट करने वाला बताया गया था।
पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि फील्ड ट्रायल में हजारों पार्टिसिपेंट को शामिल कर वैक्सीन के कॉकटेल की प्रभावकारिता (efficacy) प्रूव नहीं हुई है। उन्होंने कहा, "अगर वैक्सीन कॉकटेल लगाए जाते हैं और यदि परिणाम अच्छा नहीं होता है, तो SII कह सकता है कि दूसरी की वैक्सीन अच्छी नहीं थी, इसके विपरीत, दूसरी कंपनी कह सकती है कि चूंकि आपने सीरम के टीके को मिलाया, इसलिए इसके परिणाम अच्चे नहीं आए।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक स्टडी में पाया गया था कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन की मिक्स डोज ने एक ही टीके की दो डोज प्राप्त करने वालों की तुलना में बेहतर इम्युन रिस्पॉन्स जनरेट किया। मई में, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में 18 ग्रामीणों को अनजाने में कोविशिल्ड मिलने के छह सप्ताह बाद दूसरी खुराक के रूप में कोवैक्सिन लगा दी गई थी। स्टडी में उनकी इम्युनिटी की तुलना कोविशील्ड की दो डोज के 40 प्राप्तकर्ताओं और कोवाक्सिन की दो खुराक के 40 प्राप्तकर्ताओं से की।
आईसीएमआर ने कहा, "हेट्रोलॉगस ग्रुप में अल्फा, बीटा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ इम्यूनोजेनेसिटी प्रोफाइल बेहतर थी। आईजीजी एंटीबॉडी और प्रतिभागियों का न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी रिस्पॉन्स भी होमोलॉगस ग्रुप की तुलना में काफी अधिक था।"
ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने भी भारत में कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीन के मिश्रण पर एक स्टडी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस स्टडी में 300 हेल्थ इंडिविजुअल शामिल हैं। क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर इसे कर रहा है। इस स्टडी का उद्देश्य यह आकलन करना है कि क्या टीकाकरण कोर्स को पूरा करने के लिए किसी व्यक्ति को दो अलग-अलग वैक्सीन शॉट दिए जा सकते हैं - एक कोविशील्ड और एक कोवैक्सिन का।