मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी से 4 आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा
मानवाधिकार आयोग सख्त मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी से 4 आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा
- मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी से 4 आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा
डिजिटल डेस्क, गुवाहाटी । मणिपुर मानवाधिकार आयोग (MHRC) ने राज्य के गृह विभाग और राज्य के पुलिस प्रमुख से चार आरटीआई कार्यकर्ताओं को उचित सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है, जो आतंकी संगठन एनएससीएन-आईएम से प्रतिशोध के डर से छिप गए हैं। एमएचआरसी के एक अधिकारी ने कहा कि अधिकार कार्यकर्ता वेंगबम जॉयकुमार सिंह द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर आयोग ने राज्य के पुलिस महानिदेशक और विशेष सचिव (गृह) को एक सुरक्षित स्थान का पता लगाने का निर्देश दिया है, ताकि 4 आरटीआई कार्यकर्तार्ओं को सुरक्षित रूप से रखा जा सके। इसके साथ ही संविधान के तहत मिले हुए उनके जीवन के जीने अधिकार को सुरक्षित करने और मामले का निपटारा होने तक उन्हें खाद्यान्न सहित बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान करने की अपील भी की गई है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मुद्दे पर एक मामले को निपटाने के लिए एमएचआरसी को स्थानांतरित कर दिया है। कार्यवाहक अध्यक्ष खैदेम मणि द्वारा जारी एमएचआरसी के आदेश में कहा गया है कि हनोक, पी. जॉनसन, एस. पी. बेंजामिन और पी. आर. अमोस, उत्तरी मणिपुर के सेनापति जिले के सभी निवासी, जो नागालैंड की सीमा से लगे हैं, मार्च 2020 से प्रतिबंधित एनएससीएन-आईएम से प्रतिशोध का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों के संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम के माध्यम से जानकारी मांगी थी।
शिकायत में कहा गया है, पिछले साल 20 जनवरी को एनएससीएन-आईएम (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम के इसाक-मुइवा गुट) के कुछ कार्यकर्ताओं ने हनोक का अपहरण कर लिया और उसे प्रताड़ित किया और उसे किसी अज्ञात स्थान पर 8 दिनों तक रखा। उन्होंने उस पर आरटीआई आवेदन वापस लेने का दबाव बनाया और आखिरकार वह जबरन अपना आवेदन वापस लेने के लिए राजी हो गया।
याचिका में यह भी कहा गया है कि हनोक को दी गई धमकियों और डराने-धमकाने की सूचना मिलने पर सेनापति जिले के तफौ फयामाई गांव के 31 ग्रामीणों ने आरटीआई कार्यकर्ताओं के प्रति अपनी एकजुटता बढ़ाने के लिए 31 आरटीआई आवेदन दायर किए थे। इस आयोग ने पुलिस महानिदेशक और विशेष सचिव (गृह) को भी इस मामले को देखने और आयोग को अपना जवाब देने को कहा था।
एनएससीएन-आईएम और आठ अन्य संगठन केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता कर रहे हैं और ये नागा संगठन कुछ साल पहले नागा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) के बैनर तले एक साथ सामने आए थे।एनएससीएन-आईएम और अन्य संगठनों ने 1997 में और उसके बाद के वर्षों में भारत सरकार के साथ युद्धविराम समझौता किया और तब से एक राजनीतिक बातचीत का दौर शुरू हुआ। अगस्त 1997 से प्रमुख नागा समूह एनएससीएन-आईएम ने केंद्र के साथ लगभग 80 दौर की बातचीत की है।
(आईएएनएस)