महाराष्ट्र: सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा हुए अर्नब गोस्वामी, बाहर आकर कहा- ये भारत के लोगों की जीत है
महाराष्ट्र: सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा हुए अर्नब गोस्वामी, बाहर आकर कहा- ये भारत के लोगों की जीत है
- सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव सरकार को फटकार लगाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अंतरिम बेल दे दी। जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने अर्नब के साथ दो अन्य आरोपियों नीतीश सारदा और प्रवीण राजेश सिंह को 50 हजार रुपए के बॉण्ड पर अंतरिम जमानत देने के निर्देश दिए। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को जमानत के आदेश पर तत्काल अमल करने को कहा। तलोजा जेल से बाहर निकलते ही रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब कार की छत पर बैठ गए। अर्नब ने नारे लगाते हुए अपनी रिहाई को भारत के लोगों की जीत बताया। अर्नब के साथ ही इस मामले में दो अन्य आरोपियों नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख को भी जमानत दी गई है।
अपनी रिहाई के बाद अर्नब ने कहा कि "यह सरकार द्वारा की गई एक गैरकानूनी गिरफ्तारी थी, जो यह नहीं समझता है कि वह मीडिया की स्वतंत्रता को पीछे नहीं धकेल सकता है। अगर उद्धव ठाकरे को मेरी पत्रकारिता से कोई समस्या है, तो उन्हें मुझे साक्षात्कार देना चाहिए। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वे उन मुद्दों पर बहस करें जिनसे मैं असहमत हूं।"
It was illegal arrest done by a govt that doesn"t understand that it can"t push back independent media.If Uddhav Thackeray has problem with my journalism, he should give me interview. I challenge him to debate with me on issues I disagree with him:Republic TV Editor Arnab Goswami https://t.co/yUvNHE7BVt pic.twitter.com/sKQgqbOA7C
— ANI (@ANI) November 11, 2020
बता दें कि अर्नब पर 2018 में एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। इसी मामले में मुंबई पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्नब की जमानत अर्जी ठुकरा दी थी। इसके बाद अर्नब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
उद्धव सरकार को लगाई फटकार
न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर निशाना बना रही हैं। अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें उच्च न्यायालय जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता, निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं।
हाईकोर्ट को भी निर्देश दिए
कोर्ट ने कहा कि HC को एक संदेश देना होगा। कृपया, व्यक्तिगत आजादी को बनाए रखने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करें। हम बार-बार देख रहे हैं। अदालत अपने अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल में विफल हो रही हैं। लोग ट्वीट के लिए जेल में हैं।
इस शर्त पर मिली जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे। इसके अलावा आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले की जांच के दौरान वो पूरा सहयोग करेंगे।
2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां ने खुदकुशी कर ली थी। अन्वय की पत्नी ने सुसाइड लेटर में अर्नब का नाम होने के बावजूद कार्रवाई न होने पर सवाल उठाया था। इसके बाद रायगढ़ पुलिस ने अर्नब और दो अन्य लोगों को 4 नवंबर को गिरफ्तार किया था। बाद में अदालत ने इन्हें 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। अर्नब फिलहाल तलोजा जेल में बंद हैं।
अर्नब के वकील ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की
अर्नब का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि यह सामान्य मामला नहीं था और संवैधानिक न्यायालय होने के नाते बंबई उच्च न्यायालय को इन घटनाओं का संज्ञान लेना चाहिए था। क्या यह ऐसा मामला है जिसमे अर्नब गोस्वामी को खतरनाक अपराधियों के साथ तलोजा जेल में रखा जाए। उन्होंने कहा कि मैं अनुरोध करूंगा कि यह मामला सीबीआई को सौंप दिया जाए और अगर वह दोषी हैं तो उन्हें सजा दीजिए। अगर व्यक्ति को अंतरिम जमानत दे दी जाए तो क्या होगा।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने महाराष्ट्र पुलिस और वरिष्ठ अधिवक्ता सी.यू. सिंह ने पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व किया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सह आरोपी नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख की अंतरिम रिहाई की भी अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत देने के लिए आवेदन को खारिज कर हाईकोर्ट ने त्रुटि की है।