महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 8 दिन की ईडी हिरासत में भेजे गए
राउंडअप महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 8 दिन की ईडी हिरासत में भेजे गए
- मामला जमीन के सौदे से जुड़ा हुआ है
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने बुधवार को महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को कथित मनी लॉन्ड्रिंग (धनशोधन) मामले में तड़के नाटकीय ढंग से हिरासत, पूछताछ और गिरफ्तारी के करीब 15 घंटे बाद आठ दिन यानी तीन मार्च तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया। मामला जमीन के सौदे से जुड़ा हुआ है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मलिक को बुधवार की शाम हिरासत में लेने और गिरफ्तार करने के आठ घंटे बाद विशेष अदालत के समक्ष पेश किया, जिसके बाद बचाव दल के विरोध के वाबजूद उनकी 14 दिन की रिमांड के लिए एक उग्र कानूनी लड़ाई शुरू हो गई।
इस घटना ने सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को बड़ा झटका दिया है, क्योंकि मलिक गिरफ्तार होने वाले पहले कैबिनेट मंत्री हैं। इससे राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल मच गया है।
शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ कई बैठकों के बाद यह निर्णय लिया गया कि अदालत के आदेशों के बावजूद मलिक को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रूप में इस्तीफा देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
बुधवार दोपहर, ईडी के सहायक निदेशक नीरज कुमार ने अपने गिरफ्तारी आदेश में कहा कि एजेंसी के पास विश्वास करने का कारण था कि मलिक को पीएमएलए के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराध का दोषी पाया गया है और उन्हें 2.45 बजे गिरफ्तार किया गया।
औपचारिक गिरफ्तारी के फौरन बाद, मलिक को ईडी की एक टीम मेडिकल जांच के लिए एक सरकारी अस्पताल ले गई, जहां से उन्हें विशेष पीएमएलए अदालत ले जाया गया।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने ईडी का प्रतिनिधित्व किया, जबकि वरिष्ठ वकील अमित देसाई मलिक की ओर से पेश हुए, क्योंकि मंत्री के सहयोगी, राजनीतिक कार्यकर्ता और रिश्तेदार अदालत में पहुंचे।
जब उन्हें सीआईएसएफ, पुलिस और ईडी कर्मचारियों द्वारा ईडी कार्यालय से बाहर निकाला गया, सफेद कुर्ता-पायजामा में मुस्कुराते हुए मलिक को हवा में मुट्ठी उठाते और अपने समर्थकों के लिए घोषणा करते हुए देखा गया : झुकेंगे नहीं, लड़ेंगे और जीतेंगे। इसके बाद उन्हें एक वाहन में बैठाया गया।
घटनाक्रम की शुरुआत ईडी की एक टीम के साथ हुई, जिसमें सीआईएसएफ की एक टीम ने सुबह करीब 4.30 बजे मलिक के घर पर दस्तक दी और कुछ घंटे बाद उन्हें 17 साल पुराने कुर्ला जमीन सौदे में माफिया से जुड़े मामले में पूछताछ के लिए ले गए। इसमें से एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग एंगल सामने आया है।
ईडी ने ऑपरेशन के लिए सीआईएसएफ और मुंबई पुलिस की टीमों को तैनात किया था, यहां तक कि बड़ी संख्या में राकांपा कार्यकर्ताओं ने मलिक की हिरासत के विरोध में सुबह से एजेंसी के कार्यालय के बाहर शोर-शराबा किया।
62 वर्षीय मलिक ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने वाले एमवीए सरकार में पहले मंत्री और राकांपा के दूसरे वरिष्ठ नेता बने। पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को ईडी ने 2 नवंबर, 2021 को कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में गिरफ्तार किया था।
मलिक की गिरफ्तारी के साथ ही राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, गृहमंत्री दिलीप वलसे-पाटिल, छगन भुजबल बालासाहेब थोराट, अशोक चव्हाण और अन्य से मिलने के लिए बुधवार शाम को एक जरूरी बैठक के साथ व्यस्त राजनीतिक गतिविधि शुरू हो गई।
एमवीए के सहयोगी और शीर्ष नेता जैसे पवार, जयंत पाटिल, सुप्रिया सुले, मजीद मेमन, छगन भुजबल, विद्या चव्हाण, संजय राउत, किशोर तिवारी, नाना पटोले, चव्हाण, नसीम खान और अन्य ने मलिक के खिलाफ कार्रवाई के लिए ईडी की खिंचाई की। उन्होंने कहा कि वे प्रतिशोध की राजनीति, विरोधियों को निशाना बनाने और केंद्रीय जांच एजेंसियों के जरिए उन्हें चुप कराने की कोशिशों के खिलाफ लड़ेंगे, डरेंगे नहीं।
इसके साथ ही, विपक्षी भाजपा ने 10 मार्च की घोषित समय सीमा से पहले एमवीए सरकार को गिराने के प्रयास तेज कर दिए।
विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले को बेहद गंभीर करार दिया। उन्होंने कहा कि देश के दुश्मनों से मिलीभगत से फरार माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर से जुड़े लोगों के साथ करोड़ों रुपये की जमीन कथित तौर पर हड़प ली गई थी और ये सब आतंकी फंडिंग और देश विरोधी गतिविधियों के लिए किया गया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मांग की कि मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया है, इसलिए उन्हें पद छोड़ देना चाहिए, साथ ही विभिन्न आरोपों का सामना कर रहे अन्य सभी मंत्रियों को तुरंत मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए, ऐसा नहीं करने पर भाजपा सड़कों पर आंदोलन शुरू करेगी।
एमवीए नेताओं ने गुरुवार सुबह नरीमन प्वाइंट पर मंत्रालय के पास महात्मा गांधी की प्रतिमा पर धरना देने की घोषणा की, इसके अलावा मलिक की गिरफ्तारी के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध की घोषणा की। बताया गया कि केंद्र किस तरह केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग महाराष्ट्र सरकार और अन्य राज्यों की विपक्षी दल की सरकार को गिराने के लिए कर रहा है।
(आईएएनएस)