सामना में शिवसेना का BJP पर हमला, कहा- अजित जैसे भैंसे को बाड़े में लाकर बांध दिया
सामना में शिवसेना का BJP पर हमला, कहा- अजित जैसे भैंसे को बाड़े में लाकर बांध दिया
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद राजनीति हर पल बदल रही है। भाजपा से मनमुटाव के बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन कर सरकार बनना तय था, लेकिन अचानक शनिवार को एनसीपी नेता अजित पवार ने भाजपा को समर्थन दे दिया है। ऐसे में राज्य की राजनीति सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। वहीं शिवसेना ने अपने मुखपत्र "सामना" के संपादकीय में भाजपा और अजित पवार पर निशाना साधा है। सामना ने कहा है कि बीजेपी ने सत्ता प्राप्त करने के लिए आचार और नीति को ताक पर रख दिया है। सत्ता के लिए उनकी किसी भी स्तर पर जाने की तैयारी है। कुछ भी हो जाए, वे विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाएंगे।
सामना में लिखा है कि, अब भाजपा को बहुमत मिलना मतलब भैंसे से दूध दुहने जैसा है। अजीत पवार के रूप में उन्होंने एक भैंसे को अपने बाड़े में लाकर बांध दिया है और भैंसे से दूध दुहने के लिए ऑपरेशन कमल योजना बनाई है। यही लोग सत्ता ही उद्देश्य नहीं है ऐसा प्रवचन झाड़ते हुए नैतिकता बघार रहे थे। आज राज्य में हर तरफ भाजपा की थू-थू हो रही है। भैंसे की गंदगी को भाजपा के स्वच्छ और पारदर्शक जैसे चेहरे पर उड़ने से पीएम नरेंद्र मोदी भी बेचैन हो गए होंगे। फडणवीस और उनके लोग इस भ्रम में थे कि अजित एनसीपी को तोड़कर 25-30 विधायकों को लेकर भाजपा के बाड़े में आ जाएंगे।
सामना में लिखा, "महाराष्ट्र में जो कुछ हो रहा है उसे नाटक कहना रंगमंच का अपमान है। महाराष्ट्र में फिलहाल जो राजनीतिक अस्थिरता है, वो भाजपा के कारण, उनकी व्यावसायिक वृत्ति के कारण और फंसाने की कला के कारण है। पहले उन्होंने शिवसेना जैसा मित्र खो दिया और अब वे शातिर चोर की तरह रात के अंधेरे में अपराध कर रहे हैं। सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में राज्यपाल के समक्ष भाजपा के पास सरकार बनाने का मौका था। राज्यपाल उन्हीं की पार्टी और उन्हीं की नीति के होने के कारण भगतसिंह कोश्यारी ने भाजपा के नेताओं को निमंत्रित किया ही था। शिवसेना को बुलाया, लेकिन सरकार बनाने के लिए 24 घंटे भी नहीं दिए। इसलिए पर्दे के पीछे जो तय किया गया था उसके अनुसार राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लाद दिया।"
आगे लिखा है कि, इंदिरा गांधी द्वारा घोषित किए गए आपातकाल को काला दिवस के रूप में मनाने का ढोंग भाजपा अब न करे। राष्ट्रपति भवन और राजभवन का इतना दुरुपयोग देश नें उस समय भी नहीं हुआ था। महाराष्ट्र ठीक से जागा भी नहीं था कि उसी दौरान अलसुबह फडणवीस और अजित पवार ने राजभवन में जाकर शपथ ली, हो सकता है वे बिना नहाए ही पहुंच गए हों। इस समारोह में खुद के मेहमान को छोड़िए परंपरानुसार पहुंचनेवाले अधिकारी भी उपस्थित नहीं थे। कांग्रेस, शिवसेना और राष्ट्रवादी की आनेवाली सरकार नैतिक या अनैतिक की बात छोड़े लेकिन देवेंद्र फडणवीस और उनकी पार्टी ने ये किसको जन्म दिया है। सिर गधे का और धड़ भैंसे का ऐसा प्रारूप महाराष्ट्र के माथे पर मारकर ये लोग एक-दूसरे को लड्डू खिलाते है। असली सवाल ये कि ये लड्डू उन्हें हजम होंगे क्या और इसका उत्तर है नहीं।
सामना में आगे लिखा है, "भाजपा का मुखौटा उतर गया। मतलब भाजपा के चेहरे पर इतने मुखौटे हैं कि एक मुखौटे के उतरते ही दूसरा मुखौटा वहां रहता ही है। महाराष्ट्र की जनता इन सारे मुखौटों को उतार फेंकेगी। 25 वर्षों की दोस्ती को न निभानेवाले लोग अजित पवार का भी पतन कर देंगे।