कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्कूल-कॉलेजों में धार्मिक पोशाक पहनने पर लगाई रोक, सोमवार को होगी अगली सुनवाई

हिजाब विवाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्कूल-कॉलेजों में धार्मिक पोशाक पहनने पर लगाई रोक, सोमवार को होगी अगली सुनवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-10 13:06 GMT
कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्कूल-कॉलेजों में धार्मिक पोशाक पहनने पर लगाई रोक, सोमवार को होगी अगली सुनवाई
हाईलाइट
  • छात्र स्कूलों और कॉलेजों से धार्मिक ड्रेस के लिए जिद नहीं कर सकते
  • हिजाब विवाद पर तीन जजो की बेंच कर रही सुनवाई

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। कर्नाटक में छात्राओं द्वारा हिजाब पहनकर स्कूल व कॉलेजों में जाने को लेकर छिड़ी जंग पर गुरूवार को हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि छात्र स्कूलों और कॉलेजों से धार्मिक ड्रेस के लिए जिद नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने इस मामले में फैसला आने तक स्कूल व कॉलेजों में धार्मिक पोशाक पहनकर जाने पर रोक लगाई है। चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों को तत्काल खोलना चाहिए और पढ़ाई होना जरूरी है। कोर्ट में मामले को लेकर अगली सुनवाई सोमवार को दोपहर 2:30 बजे की जाएगी। 

तीन जजो की बेंच कर रही सुनवाई

हिजाब पहनने की मांग को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षा में जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट के सीजे ने मीडिया से अपील की है कि कोर्ट के आदेश को बिना देखे बहस के दौरान कोर्ट द्वारा की गई किसी भी टिप्पणी को रिपोर्ट न करें।

यहां तक कि कोर्ट ने यह भी कहा है कि कोर्ट के आदेश को देखे बिना अखबार, सोशल मीडिया या कहीं भी आदेश पूरा आने तक रिपोर्टिंग न करें। गौरतलब है कि इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस कृष्ण दीक्षित ने मामले की बड़ी बेंच में भेजने का फैसला किया था। जस्टिस दीक्षित ने कहा था कि हिजाब मामले पर अंतरिम राहत के सवाल पर भी बड़ी बेंच ही विचार करेगी। 

छात्राओं के वकील ने रखा अपना पक्ष

कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब पहनने की मांग करने की वाली छात्राओं के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि यूनिफॉर्म को लेकर कर्नाटक एजुकेशन एक्ट में कोई बात नहीं कही गई है। उन्होंने अदालत में कहा कि कर्नाटक एजुकेशन एक्ट में यूनिफॉर्म को लेकर कोई स्पेशल प्रावधान नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि हिजाब इस्लाम का हिस्सा है और इसे स्कूल एवं कॉलेजों की ओर से अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्दी ही फैसला लिए जाने की जरूरत है ताकि छात्रों की पढ़ाई पर किसी भी तरह की बाधा न उत्पन्न हो, क्योंकि आगामी मार्च में ही उनके एग्जाम भी होने वाले हैं। 

अटॉर्नी जनरल ने रखा पक्ष

सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ड्रेस कोड स्कूल व कॉलेजों में फॉलो किया जाना चाहिए। अटॉर्नी  जनरल ने कहा कि छात्रों को स्कार्फ या हिजाब अथवा भगवा गमछे के साथ स्कूल या कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि यह अच्छी स्थिति नहीं होगी, छात्रों को यूनिफॉर्म कोड के साथ ही स्कूलों में आना होगा।

जानें पूरा मामला

गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार ने राज्य में कर्नाटक शिक्षा कानून-1983 की धारा 133 लागू कर दी है। जिसकी वजह से सभी स्कूल व कॉलेजों में यूनिफॉर्म कोड को अनिवार्य कर दिया है। इस नियम के अनुसार सरकारी स्कूल व कॉलेज में तय किए गए यूनिफॉर्म पहनने पड़ेंगे तथा निजी स्कूल भी खुद छात्र व छात्राओं के लिए यूनिफार्म चुन सकते हैं।

इस फैसले के बाद से बीते जनवरी माह से ही विवाद तब शुरू हुए, जब उड्डपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज में प्रवेश किया था। जिसके बाद कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनने से मना किया था, लेकिन फिर भी पहनकर आ गई थीं। यही विवाद दूसरे स्कूल व कॉलेजों में बढ़ता चला गया और फिर राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बन गया। 


 

 

    

   


 

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