आईएसआईएस लिंक, हिंदू नेताओं की हत्या, हवाला सौदे- एमएचए डोजियर पीएफआई के बारे में

नई दिल्ली आईएसआईएस लिंक, हिंदू नेताओं की हत्या, हवाला सौदे- एमएचए डोजियर पीएफआई के बारे में

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-28 17:00 GMT
आईएसआईएस लिंक, हिंदू नेताओं की हत्या, हवाला सौदे- एमएचए डोजियर पीएफआई के बारे में
हाईलाइट
  • एजेंसियों को कई हिंदू नेताओं की हत्या में पीएफआई के लिंक भी मिले

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की अवैध गतिविधियों पर खुफिया एजेंसियां नजर बहुत पहले से रख रही थी। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बुधवार सुबह अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पीएफआई और उसके सहयोगियों को पांच साल के लिए प्रतिबंधित करने से पहले, एजेंसियों को पता चला था कि पीएफआई एक हिंसक संगठन में बदल गया जो विभिन्न समुदायों के बीच नफरत को बढ़ावा देने के अलावा आतंकी गतिविधियों, हवाला फंडिंग में शामिल था।

एजेंसियों को कई हिंदू नेताओं की हत्या में पीएफआई के लिंक भी मिले। एमएचए डोजियर में कहा गया- मंत्रालय का मानना है कि पीएफआई सबसे शक्तिशाली कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों में से एक था, जिसके सदस्य हिंसा, गैरकानूनी गतिविधियों और आतंकवाद के कई मामलों में शामिल थे। पीएफआई और इसके विभिन्न फ्रंटल संगठनों की देश भर के 17 से अधिक राज्यों में उपस्थिति थी।

पीएफआई ने अपने कैडरों को ऐसे कार्यों को करने के लिए प्रोत्साहित किया जो अलग-अलग धार्मिक समूहों के बीच शांति और सद्भाव को बिगाड़ने का काम कर करे और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बाधित करे। इसलिए, इसे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया गया है। अलग-अलग राज्य पुलिस बलों के साथ-साथ एनआईए द्वारा पीएफआई, उसके कैडरों और संबंधित संगठनों के खिलाफ 1,300 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से कुछ मामले यूएपीए, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और आईपीसी की अन्य जघन्य धाराओं के तहत दर्ज किए गए थे।

एजेंसियों ने पाया है कि आतंकवादी समूहों के साथ पीएफआई के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के कई उदाहरण हैं। पीएफआई के कुछ कार्यकर्ता, विशेष रूप से केरल से आईएसआईएस में शामिल हो गए थे और सीरिया, इराक और अफगानिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में शामलि थे। इनमें से कुछ भारतीय आईएसआईएस आतंकवादी मुठभेड़ में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे गए थे। आईएसआईएस से जुड़े कुछ पीएफआई तत्वों को एनआईए और अन्य राज्य पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पीएफआई के जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के साथ भी संबंध थे।

केरल में आरएसएस कार्यकर्ता संजीत की 15 नवंबर, 2021 को पीएफआई के कैडरों द्वारा हत्या कर दी गई थी। तमिलनाडु में पीएफआई कैडरों ने 2019 में अपनी दावा गतिविधियों को चुनौती देने के लिए एक हिंदू नेता वी रामलिंगम की हत्या कर दी थी। संगठन के कैडरों द्वारा हिंदू समर्थक नेताओं की हत्या के अन्य मामलों की बात करें तो, नंदू (केरल, 2021), अभिमन्यु (केरल, 2018), बिबिन (केरल, 2017), शरथ (कर्नाटक, 2017), आर रुद्रेश ( कर्नाटक, 2016), प्रवीण पुजारी (कर्नाटक, 2016) और शशि कुमार (तमिलनाडु, 2016), शामिल है।

पीएफआई के कार्यकतार्ओं ने 2010 में ईशनिंदा के आरोप में प्रोफेसर टी.जे. जोसेफ का हाथ हाट दिया था। इस मामले में आरोपी पीएफआई कैडरों के पास से कुछ एक्यू और आईएसआईएस प्रशिक्षण वीडियो बरामद किए गए थे। डोजियर में कहा गया है कि इस तरह की गतिविधियों ने जनता के अलावा अन्य धार्मिक समुदायों के सदस्यों में भय पैदा हुआ।

केरल में, जून 2021 में कोल्लम जिले के पदम वन क्षेत्र से विस्फोटक और जिहादी सामान बरामद किया गया था। वन क्षेत्र का उपयोग पीएफआई द्वारा प्रशिक्षण स्थल के रूप में किया जा रहा था। अप्रैल 2013 में, केरल पुलिस ने कन्नूर जिले के नारथ में एक हथियार प्रशिक्षण स्थल से हथियार और विस्फोटक बरामद किए थे। मामले की जांच एनआईए ने की थी और 2016 में पीएफआई के 41 कैडरों को अदालत ने दोषी ठहराया था।

डोजियर में दावा किया गया है कि पीएफआई ने गुप्त रूप से प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जहां प्रतिभागियों को कुछ धार्मिक समूहों के खिलाफ बल प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया, जिन्हें संगठन इस्लाम के दुश्मन के रूप में मानता था। पीएफआई, जिसने हमेशा एक सामाजिक संगठन होने का दावा किया था, उसे 26 जुलाई को कर्नाटक के बेल्लारे शहर में एक हिंदू कार्यकर्ता प्रवीण नेट्टारू की हत्या में शामिल पाया गया था। नेतरू की बाइक सवार हमलावरों ने चाकू मारकर हत्या कर दी। अब तक गिरफ्तार किए गए सभी लोग पीएफआई के सदस्य हैं। कथित तौर पर हत्या की योजना पीएफआई के राजनीतिक मोर्चे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के सदस्यों ने बनाई थी।

साथ ही, पीएफआई को देश और विदेश दोनों जगहों से फंड मिल रहा था। पीएफआई और उसके सहयोगियों ने बड़ी संख्या में बैंक खातों का संचालन किया और भारत और विदेशों में स्थित अपने सहयोगियों के माध्यम से पैसा प्राप्त किया। पीएफआई के खाताधारकों के वित्तीय प्रोफाइल से मेल नहीं खाने वाले 100 से अधिक बैंक खाते जांच एजेंसियों के संज्ञान में आए हैं। परिणामस्वरूप, आईटी अधिनियम की धारा 12ए और 12एए के तहत पीएफआई की पंजीकरण स्थिति वापस ले ली गई।

इस बीच, तेलंगाना में एक गुप्त फिजिकल ट्रेनिंग सेंटर ने पीएफआई की हिंसक प्रकृति का खुलासा किया। एक शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षक, अब्दुल खादर ने निजामाबाद में मार्शल आर्ट में 200 से अधिक पीएफआई कैडरों को ट्रेनिंग दी थी। पुलिस ने 27 पीएफआई सदस्यों के खिलाफ निजामाबाद श्क टाउन पुलिस स्टेशन में आईपीसी और यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। आरोपियों से पूछताछ में पता चला था कि पीएफआई ने मुस्लिम युवाओं की पहचान की, खासकर गरीब या मध्यम वर्ग के परिवारों से, जिन्हें बाद में ट्रेनिंग दी गई और हिंदुत्व विरोधी विचारधारा के साथ प्रेरित किया गया।

(आईएएनएस)

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