Indian Railway: भारतीय रेलवे ने 167 साल के इतिहास में पहली बार कमाई से ज्यादा चुकाया रिफंड

Indian Railway: भारतीय रेलवे ने 167 साल के इतिहास में पहली बार कमाई से ज्यादा चुकाया रिफंड

Bhaskar Hindi
Update: 2020-08-13 19:44 GMT
Indian Railway: भारतीय रेलवे ने 167 साल के इतिहास में पहली बार कमाई से ज्यादा चुकाया रिफंड

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने 167 साल के अपने इतिहास में पहली बार टिकट बुकिंग से हुई कमाई से ज्यादा राशि यात्रियों को वापस कर दी। जानकारी अनुसार कोविड-19 संकट से प्रभावित चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रेलवे के पैसेंजर ट्रेनों से कमाई में 1,066 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इस बात की जानकारी एक RTI में निकलकर सामने आई है। यह आरटीआई मध्य प्रदेश के चंद्रशेखर गौर ने दाखिल की थी।

RTI से मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल से लेकर जून तक रेलवे की यात्री श्रेणी से होने वाली कमाई जहां नकारात्मक रही। वहीं मालभाड़े से होने वाली आय अपने स्तर पर बनी रही। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण ट्रेनों के रद्द होने और यात्रा प्रतिबंधों की वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में नॉर्मल पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन बंद रहा। इस दौरान रेलवे के यात्रियों को टिकट किराया वापस करने से अप्रैल में 531.12 करोड़ रुपए, मई में 145.24 करोड़ रुपए और जून में 390.6 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

चालू वित्त वर्ष में रेलवे को 40 हजार करोड़ रुपए का नुकसान
रेलवे के प्रवक्ता डीजे नारायण ने बताया कि यह नुकसान की राशि रेलवे के अपनी आय से ज्यादा लोगों को रिफंड करने के आंकड़े दिखाती है। पिछले साल रेलवे ने अप्रैल में 4 हजार 345 करोड़ रुपए, मई में 4 हजार 463 करोड़ रुपए और जून में 4 हजार 589 करोड़ रुपए की कमाई की थी। रेलवे ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते चालू वित्त वर्ष में रेलवे को करीब 40 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। हालांकि इस दौरान उसकी मालभाड़े से आय बनी रही। रेलवे ने मालभाड़े से अप्रैल में 5 हजार 744 करोड़ रुपए, मई में 7 हजार 289 करोड़ रुपए और जून में 8 हजार 706 करोड़ रुपए की आय की।

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के परिचालन से 2 हजार करोड़ का नुकसान
वित्त वर्ष 2019-20 में रेलवे ने इस मद से अप्रैल में 9 हजार 331 करोड़ रुपए, मई में 10 हजार 032 करोड़ रुपए और जून में 9 हजार 702 करोड़ रुपए की आय की थी। रेलवे ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को उनके गृहराज्य पहुंचाने के लिए रेलवे ने ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों का परिचालन किया। इससे भी रेलवे को करीब 2 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

 

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