बिपिन रावत हो सकते हैं देश के पहले CDS, पद को सरकार की मंजूरी
बिपिन रावत हो सकते हैं देश के पहले CDS, पद को सरकार की मंजूरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पद को मंजूरी दे दी है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में नियुक्त किए जाने वाला अधिकारी एक फोर स्टार जनरल होगा। यह अधिकारी सैन्य मामलों के विभाग का प्रमुख भी होगा। सैन्य विभाग के तहत देश की तीनों सेनाएं आएंगी। उसको तीनों सेनाओं के प्रमुखों के बराबर सैलरी दी जाएगी। सूत्रों की माने तो आर्मी चीफ बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस हो सकते हैं।
कोई भी CDS, ऑफिस छोड़ने के बाद किसी भी सरकारी कार्यालय में काम नहीं कर सकेंगे। वह CDS पोस्ट से हटने के बाद 5 साल तक बिना इजाजत प्राइवेट नौकरी भी नहीं कर सकेंगे। अभी चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) होता है। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी में सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुख रहते हैं। सबसे वरिष्ठ सदस्य को इसका चेयरमैन नियुक्त किया जाता है। यह पद सीनियर सदस्य को रोटेशन के आधार पर रिटायरमेंट तक दिया जाता है।
2012 में नरेश चंद्र टास्क फोर्स बनी जिसने चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी बनाने का सुझाव दिया था। फिलहाल एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयमैन हैं। लेकिन चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के पास कोई पावर नहीं होती है।
31 दिसंबर को सेना प्रमुख के रूप में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा करने वाले जनरल बिपिन रावत का नाम जल्द ही इस पद के लिए तय किया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने, रावत के रिटायर होने के बाद सेना की बागडोर संभालेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने भाषण में कहा था कि सेनाओं के बीच समन्वय को और तेज करने के लिए जल्द ही एक सीडीएस देश को मिलेगा।
सरकार ने अगस्त में सीडीएस की नियुक्ति के तौर-तरीकों और उसकी जिम्मेदारियों को अंतिम रूप देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। सीडीएस सैन्य बलों की तरफ से सलाह देने का काम करेंगे। हालांकि, सेनाओं का ऑपरेशनल दायित्व तीनों सेना प्रमुखों के पास ही रहेगा। उनका पद तीनों सेना प्रमुखों से ऊपर और कैबिनेट सचिव से नीचे रह सकता है।
बता दें कि 1999 के करगिल युद्ध के बाद 2001 में देश की सुरक्षा प्रणाली में खामियों की समीक्षा के लिए बनाई गई कमेटी ने सीडीएस की नियुक्ति का सुझाव दिया था। 65 दिनों तक चली करगिल की लड़ाई में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा था लेकिन भारत को भी अच्छा खासा नुकसान हुआ था। समीक्षा के दौरान मंत्रियों के समूह ने पाया था कि लड़ाई के दौरान तीनों सेनाओं के बीच तालमेल की कमी थी और इसी वजह से लड़ाई में इतना नुकसान हुआ। इसी को देखते हुए मंत्रियों के समूह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाने का सुझाव दिया था।
1962 में भी चीन के साथ भारत का युद्ध हुआ था। उस युद्ध में भारतीय वायुसेना को कोई भूमिका नहीं दी गई थी जबकि भारतीय वायुसेना तिब्बत के पठार पर जमा हुए चीनी सैनिकों को निशाना बना सकती थी और उनके बीच तबाही मचा सकती थी। इसी तरह से पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में भारतीय नौसेना को पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हमले की योजना से अवगत नहीं कराया गया।