पाक ने भारत के साथ रोकी पोस्टल सर्विस, रविशंकर बोले- ये अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन
पाक ने भारत के साथ रोकी पोस्टल सर्विस, रविशंकर बोले- ये अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के साथ पोस्टल सर्विस बंद करने के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पाकिस्तान की कड़ी निंदा की है। पाकिस्तान के इस एकतरफा कदम को केंद्रीय मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया है। बता दें कि 27 अगस्त 2019 के बाद से पाकिस्तान की तरफ से डाक सेवाएं बंद है। पाकिस्तान ने पहली बार ऐसा स्टैंड लिया है। 1965 की जंग और करगिल युद्ध के समय भी दोनों देशों के बीच पोस्टल कम्युनिकेशन बंद नहीं हुआ था।
#WATCH "For the last two months, Pakistan has stopped postal service from India. It"s directly in contravention of the World Postal Union"s norms," says, Union Minister Ravi Shankar Prasad pic.twitter.com/gm04ITuq3z
— ANI (@ANI) October 21, 2019
रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि "पाकिस्तान का डाक मेल सेवा बंद करने का एकतरफा निर्णय अंतरराष्ट्रीय नियमों का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने यह फैसला भारत को बिना नोटिस दिए लिया है।" देश में 28 फॉरेन पोस्ट ऑफिसेज (FPO) हैं। इनमें से सिर्फ दिल्ली और मुंबई वाले FPOs में पाकिस्तान से चिट्ठियों का आदान-प्रदान होता है। कई मामलों में सिर्फ डाक से ही सूचना जाती है।
बता दें कि बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने और 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। इस बौखलाहट में उसने भारत के साथ व्यापार और एयर स्पेस को बंद करने जैसे भी कदम उठाए है।
पाकिस्तान ने बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद अपने एयरस्पेस को बंद कर दिया था। पाकिस्तान को अपने इस फैसले की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। उसे भारत के मुकाबले करीब दो सौ करोड़ ज्यादा का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। एयरस्ट्राइक के 138 दिन बाद पाकिस्तान ने अपने एयरस्पेस को खोल दिया था। हालांकि बाद में एक बार फिर उसने अपने एयरस्पेस को भारत के विमानों के लिए बंद कर दिया।
भारत के जम्मू-कश्मीर को लेकर उठाए गए कदम के बाद, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में विफल रहा है। उसने इस मुद्दे को लेकर चीन की मदद से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से संपर्क किया था, जिसके बाद एक बंद दरवाजे की बैठक हुई थी। बैठक के बाद अधिकांश सदस्य इस बात पर सहमत दिखे कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है।