खाड़ी देशों में भारतीय कामगारों के लंबित वेतन के मुद्दों को उठा रहा भारत
दिल्ली खाड़ी देशों में भारतीय कामगारों के लंबित वेतन के मुद्दों को उठा रहा भारत
- सरकार का उद्देश्य अधिक से अधिक श्रमिकों को काम पर वापस लाना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने खाड़ी देशों के समक्ष भारतीय कामगारों के लंबित वेतन का मुद्दा उठाया है।
विदेश में काम करने वाले भारतीयों के वेतन के नुकसान के बारे में एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि लंबित वेतन का डेटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन उन्होंने खाड़ी देशों के साथ इस मामले को उठाया है। जयशंकर ने कहा, मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि रोजगार बरकरार है, मजदूरी का भुगतान किया गया है और कल्याण सुनिश्चित किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का उद्देश्य अधिक से अधिक श्रमिकों को काम पर वापस लाना है और वह संबंधित अधिकारियों और खाड़ी देशों में राजदूतों के माध्यम से संपर्क में भी हैं। जयशंकर ने सदन को यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खाड़ी देशों की सरकारों के संपर्क में हैं और उन्होंने अधिकारियों के साथ 16 बार टेलीफोन पर बातचीत की है। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने खुद इन देशों का दौरा किया है और विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने भी खाड़ी देशों का दौरा किया है और वहां के अधिकारियों के साथ बैठक की है।
उन्होंने यह भी बताया कि वहां भारतीय कामगारों की मदद के लिए भारतीय समुदाय कल्याण कोष के तहत 47 करोड़ रुपये का कोष बनाया गया है। किसी भारतीय कर्मचारी की मृत्यु होने के मामले में, विदेश मंत्रालय, वहां तैनात राजदूत के माध्यम से, स्थानीय सरकार या नियोक्ता कंपनी से वर्कर के परिवार को भुगतान की गई अनुग्रह राशि प्राप्त करने का प्रयास करता है।
इससे पहले, एआईटीएमसी के सदस्य शांतनु सेन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की साइट पर गलत नक्शे का मुद्दा उठाया था, जिस पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने विदेश मंत्री से इस पर गौर करने को कहा। टीएमसी सदस्य ने कहा कि एक डॉक्टर के रूप में उन्होंने डेटा के लिए डब्ल्यूएचओ कोविड-19 साइट की जांच की है। साइट पर मानचित्र में जम्मू और कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों को भारत के बाहर दिखाया गया है। सेन ने चुटकी लेते हुए कहा कि जब सरकार अपने ही मंत्रियों की जासूसी करने के लिए पेगासस का इस्तेमाल कर रही है, ऐसे में सरकार को सतर्क रहना चाहिए।
देश में महिला न्यायाधीशों की संख्या पर सवाल के जवाब में, कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन को सूचित किया कि सर्वोच्च न्यायालय में कुल 34 न्यायाधीशों में से, हमारे पास पहली बार चार महिला न्यायाधीश हैं। उच्च न्यायालयों के 1,098 न्यायाधीशों में से हमारे पास 83 महिला न्यायाधीश हैं। रिजिजू ने आगे कहा, हम बार-बार इस बात पर जोर देते रहे हैं कि नामों की सिफारिश करते समय महिलाओं, पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्राथमिकता दी जा सकती है।
पटना उच्च न्यायालय में कोई महिला न्यायाधीश नहीं होने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने सभी उच्च न्यायालयों से भविष्य में देश के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए बड़ी संख्या में महिलाओं को भेजने का अनुरोध किया है। भाजपा सदस्य विकास महात्मे ने शराब की बिक्री से वसूले जाने वाले कर का मुद्दा उठाया और कहा कि राज्य इस स्रोत से वसूले जा रहे कर के आदी होते जा रहे हैं।
(आईएएनएस)