बांग्लादेश मामला: बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना की तरह क्या भारत में पनाह ले सकते हैं किसी भी देश के नेता? जानें क्या है इसका जवाब
- बांग्लादेश की पूर्व पीएम रह रहीं भारत में
- नहीं मिली थी कहीं और पनाह
- क्या है भारत के सिद्धांत?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 5 अगस्त को बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत आ गई थीं। जिसके बाद से वो यहीं ही रह रही हैं। उनको अपना देश छोड़े हुए तीन महीने हो गए हैं। हालांकि, उन्होंने कई और देशों में भी राजनीतिक शरण लेने की कोशिश की थी, लेकिन उनको कहीं भी अबतक कोई जगह नहीं मिली है। जिसके बाद सवाल ये उठता है कि, क्या किसी भी देश के नेता भारत में आकर शरण ले सकते हैं? आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्यों मिलती है नेताओं को शरण?
नेताओं को भारत के सिद्धांत के चलते पनाह दी जाती है। बता दें, भारत के सिद्धांत में उन नेताओं या व्यक्तियों को पनाह देना नहीं है, जो किसी अन्य देश से शरण की मांग कर रहे हों। वैसे तो भारत ने समय आने पर अंतर्राष्ट्रीय नेताओं और लोगों की काफी मदद की है, शरण भी दी है। जो राजनीतिक कारणों और अपने जीवन की सुरक्षा के चलते अपना देश छोड़ने पर मजबूर हो गए थे। जिसमें, कई सारे लोग शामिल हैं, जैसे दलाई लामा और तिब्बत के हजारों को लोगों को भारत में शरणार्थी के तौर पर रखा था। लेकिन इसके पीछे बहुत ही खास और राजनीतिक कारण होता है।
भारत के शरणार्थी कानून के तहत, शरणार्थियों को सरकारी प्रतिक्रियाओं के मुताबिक शरण दी जाती है। भारत की विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय रिश्तों के आधार पर ही ये फैसला लिया जाता है कि किसको शरण दी जाए और किसको नहीं।
भारत में शरण लेने के अधिकार की कानूनी सीमा
भारत में कानून के मुताबिक, शरण देने का अधिकार किसी व्यक्ति की सुरक्षा और राजनीतिक स्थिति पर भी ध्यान देते हैं। हालांकि, भारत की आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति की वजह से किसी भी देश के नेता को शरण देना या नहीं देना, ये एक बहुत ही संवेदनशील मामला बन सकता है। भारतीय संविधान के तहत, मानवाधिकार और शरणार्थी संरक्षण की बात की जाती है। लेकिन ये नीति सिर्फ उस वक्त ही प्रभावी होती है जब शरणार्थी खतरे में हो या उसके लिए अपने देश में रहना बिल्कुल सुरक्षित ना हो।