बुलडोजर की कार्रवाई पर अमेरिका की मानवाधिकार रिपोर्ट में उठे सवाल, अल्पसंख्यक, सरकार और पत्रकारों को लेकर भी किए गए बड़े दावे
अमेरिका में बुलडोजर की धमक बुलडोजर की कार्रवाई पर अमेरिका की मानवाधिकार रिपोर्ट में उठे सवाल, अल्पसंख्यक, सरकार और पत्रकारों को लेकर भी किए गए बड़े दावे
- अल्पसंख्यक समुदाय पर जुल्म- अमेरिका
डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। भारत में मानवाधिकार हनन को लेकर अमेरिकी सरकार ने इसी हफ्ते रिपोर्ट जारी की है। जिसमें भारत की कड़ी आलोचना की गई है। अमेरिका की यह रिपोर्ट इस स्थिति में आई है जब भारत-अमेरिका दोस्ती के नए आयाम छू रहे हैं। विदेश मामलों के जानकर मानते हैं कि अमेरिका का मानवआधिकार पर भारत को ज्ञान देना दोनों देशों के रिश्ते में खटास ला सकता है।
बता दें कि इस रिपोर्ट में अल्पसंख्यक समुदाय, सरकार से अलग हट कर राय रखने वाले लोग, सरकारी संस्थानों, पत्रकारों को लेकर बड़ी बात कही गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक खास नियत के तहत अल्पसंख्यकों के घरों को टारगेट किया जा रहा है।
अल्पसंख्यक समुदाय पर जुल्म- अमेरिका
अमेरिका की ओर से जारी की गई मानवाधिकार रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत में मुस्लिमों का उत्पीड़न हो रहा है। उनके घरों को बुलडोजर से जमींदोज किया जा रहा है, जो मानवता के नजर से पूरी तरह विपरीत है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में भारत की सरकारी संस्थाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि मौजूदा सरकार का नियंत्रण आज उन तमाम प्रतिष्ठित संस्थानों पर है, जो न्याय दिला सकती हैं लेकिन पूरी तरह से उनका ही कब्जा है।
वहीं अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि देश में जितने मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जो भारत सरकार के खिलाफ बोलते रहते हैं उन तमाम लोगों के घरों पर सरकार ने बुलडोजर या मुकदमा दर्ज करा दिया है। जो काफी निराशाजनक है। इस रिपोर्ट में साल 2022 का जिक्र करते हुए कहा गया है कि एक विशेष समुदाय से आने वाले लोगों की दुकानों और संपत्तियों को अवैध बताते हुए पुलिस के अधिकारियों ने तहस नहस कर दिया। यह पूरा अभियान 20 करोड़ समुदायों के खिलाफ चलाया जा रहा है।
अमेरिका का पत्रकारों पर ये दावा
अमेरिका द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पत्रकारों की स्थिति दयनीय है वो अपने तरीके से खबरों को प्रसारित नहीं कर सकते हैं। गलत केस और मुकदमों में उन्हें कई सालों तक जेल में रखा जा रहा है।
अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक, जेल में बंद हुए कैदियों के साथ भी दुर्व्यवहार हो रहे हैं । जिसकी वजह से उनकी मौतें भी हो रही हैं। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2022 में पुलिस के न्यायिक हिरासत में 2116 कैदियों की मौत हुई है। जो साल 2021 से 12 फीसदी अधिक है। मानवाधिकार की रिपोर्ट में अमेरिका ने यह भी दावा किया है कि इस खेल में केवल केंद्र सरकार ही नहीं भारत के अलग-अलग राज्यों की सरकारें भी बराबर की भागीदार हैं। सभी अपने-अपने हिसाब से यूएपीए के तहत कार्रवाई कर रही हैं।
एंटनी भी उठा चुके हैं सवाल
पिछले साल ही अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत के मानवाधिकार के मुद्दे पर बोला था। वहीं इस बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे थे। ब्लिंकन ने कहा था कि भारत में मानवाधिकार को लेकर अमेरिका अपनी पैनी नजर बनाए हुए है, जहां अमेरिका ने पाया है कि जेल में कैदियों के प्रति ठीक बर्ताव नहीं हो रहा है। जबिक इस बयान के बाद देश में खूब हल्ला मचा और अमेरिका और एंटनी ब्लिंकन की खूब किरकिरी हुई थी।