हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, स्थानीय उम्मीदवारों को मिलेगा 75 % आरक्षण

निजी सेक्टर में आरक्षण हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, स्थानीय उम्मीदवारों को मिलेगा 75 % आरक्षण

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-17 07:33 GMT
हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, स्थानीय उम्मीदवारों को मिलेगा 75 % आरक्षण
हाईलाइट
  • निजी सेक्टर की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की स्थानीय उम्मीदवारों को निजी सेक्टर में 75 फीसदी  आरक्षण पर लगी रोक को शीर्ष कोर्ट ने हटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से निजी सेक्टर में हरियाणावासियों को प्राइवेट सेक्टर में अधिक मौका मिलेगा। शीर्ष कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने से सरकार के साथ साथ सभी प्रदेशवासियों के चेहरे पर खुशी देखने को मिली।


समझिए क्या है पूरा मामला 
स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम, 2020 हरियाणा को छह नवंबर, 2021 को अधिसूचित किया गया था। इस अधिनियम के अंतर्गत  प्राइवेट सेक्टर में 30 हजार रुपये से कम वेतन वाली नौकरियों में लोकल उम्मीदवारों को 75 फीसदी आरक्षण प्रदान करने की बात  कही गई है। यह एक्ट 15 जनवरी, 2022 से लागू  होने वाला था। यह कानून सभी कंपनियों, समितियों, ट्रस्टों, एलएलपी फर्म, साझेदारी फर्मों और दस या अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाले किसी भी नियोक्ता पर लागू होता है। लेकिन इसमें केंद्र सरकार या राज्य सरकार या उनके स्वामित्व वाले किसी भी संस्था संगठन को शामिल नहीं किया गया है। 

योग्य लोगों के साथ अन्याय- निजी सेक्टर

आपको बता दें हरियाणा राज्य सरकार द्वारा निजी सेक्टर की नौकरियों में प्रदेशवासियों को दिए गए 75 प्रतिशत आरक्षण पर  हाईकोर्ट ने तीन फरवरी को रोक लगा दी थी। फरीदाबाद इंडस्ट्रियल एसोसिएशन व अन्य ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि प्राइवेट सेक्टर में योग्यता और कौशल के अनुसार लोगों का चयन किया जाता है। यदि नियोक्ताओं से कर्मचारी को चुनने का अधिकार ले लिया जाएगा तो उद्योग कैसे आगे बढ़ सकेंगे। हरियाणा सरकार का 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसला योग्य लोगों के साथ अन्याय है। आगे निजी सेक्टर की कंपनियों ने अपने तर्क में कहा अन्य इलाकों के शिक्षित और योग्य उम्मीदवारों के साथ इसे अन्याय बताते हुए संवैधानिक अधिकारों का खिला उल्लघंन बताया।अपना पक्ष रखते हुए निजी क्षेत्र की कंपनियों ने कहा कि योग्यता को नकारते हुए स्थानीयता को प्राथमिकता देना राज्य में अराजकता पैदा कर सकता है।  सुनवाई के दौरान इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार के 75 फीसदी आरक्षण पर रोक लगा दी। जिसे अब उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया हैं। 

 

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