भगवान हम तो आ गए, भविष्य कब आएगा ? प्रधानमंत्री से मिले भारतीय छात्रों का सबसे बड़ा सवाल, चुप्पी और निर्देशों में फंसा छात्रों का भविष्य
डर बदहाली भूखे पेट खुले आसमान में नाउम्मीदी से भरा सफर भगवान हम तो आ गए, भविष्य कब आएगा ? प्रधानमंत्री से मिले भारतीय छात्रों का सबसे बड़ा सवाल, चुप्पी और निर्देशों में फंसा छात्रों का भविष्य
- सबसे बड़ी हैरानी किसी छात्र ने कोई शिकायत नहीं की
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। युद्धग्रस्त यूक्रेन से मुश्किल भरे संकट से लौट रहे छात्रों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में मुलाकात की। पीएम मुलाकात से पहले सरकारी नुमाइंदों ने भारतीय छात्रों को पॉलिटिकल,निगेटिव और जितना पूछा जाए उतने बोलने के निर्देश दिए गए। प्रचार के दौरान यूपी गए पीएम मोदी से जब छात्रों से बातचीत करने को कहा गया तब स्टूडेंट को मोबाइल बंद रखने को कहा गया ताकि कोई रिकॉर्डिंग न कर सकें। चुनावी माहौल में यात्रा, युद्ध, परेशानियों की चर्चाओं का खूब प्रचार हुआ। इन सब में प्रधानमंत्री ने जो कहा वो छात्रों ने सुना, प्रधानमंत्री ने जो पूछा उसका जवाब छात्रों ने दिया। बातचीत के दौरान एक चीज दूर रही वो थी छात्रों के सवाल और पीएम के उत्तर। केंद्र सरकार के तमाम मंत्रियों ने मुलाकात बातचीत सावल जवाब के वीडियो को तमाम सोशल मीडिया पर साझा किया और सुर्खियों को बाटा। एक न्यूज वेबसाइट के मुताबिक तकरीबन सात मिनट के वीडियो में छात्र भारत सरकार और पीएम मोदी की जमकर तारीफ करते नजर आ रहे हैं।
दैनिक जागरण में भगवान के बाद आपका भरोसा शीर्षक के साथ इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। जमकर तारीफों के बाद भी पीएम मोदी ने स्टूडेंट और उनके परिजनों का गुस्सा होना स्वभाविक बताया। पीएम मोदी के बोल बास्तव में एक बहुत बड़े बढ़प्पन को दर्शाता है। छात्रों के गुस्से के पीछे पीएम ने भूखे पेट ठंड में खुले आसमान के नीचे बारूदों के बीच आई परिस्थितियों को ठहराया। सबसे बड़ी हैरानी की बात है तो यह रही कि किसी भी छात्र ने कोई शिकायत नहीं की, जबकि गुस्सा होने को पीएम खुद स्वाभाविक बता रहे थे। जो पीएम के महान व्यकित्व को व्यक्त करता है। ऐसा नहीं है कि छात्रों में नाराजगी, चिंता, और सरकार से शिकायत नहीं दी। सब होने के बाद भी सरकारी निर्देश और हिदायत में पीएम से मुलाकात में सबको चुप रहने को कहा गया।
मुलाकात में शामिल प्रयागराज के दो छात्रों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि पीएम मुलाकात से पहले हमको पॉजिटिव और नॉन पॉलिटिकल ही बातें करना, वहीं एक छात्र ने बताया कि पीएम से मुलाकात बढिया रही लेकिन प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान मुझे एक सवाल पूछना था, लेकिन मुलाकात की मजबूरी के निर्देशों के चलते नहीं पूछ पाया। छात्र का कहना था कि मेरा सवाल यह था कि अब हम अपने देश वापस आ गए हैं, तो हम आगे क्या करेंगे? कई छात्र भविष्य को लेकर चिंतित है, भविष्य और भविष्य में पढ़ाई को लेकर अगर सरकार से जानकारी मिल जाती तो अच्छा होता।
ध्यान से सुनना है, कोई ‘पॉलिटिकल’ बात नहीं कहनी है, हर चीज पॉजिटिव बोलनी है,और कुछ नहीं बोलना,वहां हमारा फोन बंद कर दिया गया, फोन ऑन किया तो डांट के ऑफ करवा दिया। परेशानियों का सामना कर छात्र वापस तो लौट आए, खबर के मुताबिक एक छात्र ने तो यह तक कहा, ‘‘भगवान के बाद घर में आपका नाम लिया जा रहा था कि अब मोदी जी ही कुछ कर सकते हैं, बाकी कोई कुछ नहीं कर सकता है। लेकिन अब उनकी चिंता अपने भविष्य को लेकर है कि आखिर आगे उनकी पढ़ाई का क्या होगा? उनके अंतर्मन को कचोटता ये सवाल, वे प्रधानमंत्री मोदी से मीटिंग होने के बाद भी नहीं पूछ पाए।
अमीरी गरीबी का फर्क साफ है, दोषियों पर कार्रवाई नहीं, गरीब संदिग्धों को घसीट रही है शिवराज सरकार
मध्यप्रदेश की सोई शिवराज सरकार की कुंभ कर्ण की नीद से 2007 से 2011 के बीच मनचाहे रोल नंबर इंजन बोगी सिस्टम से नकल कर धांधली कर चुके छात्र बिना पुलिस कार्रवाई से बच निकले। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जा चुके 634 छात्रों के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं की। जबकि उसके उल्ट गरीब संदिग्ध छात्राओं के खिलाफ राज्य सरकार न्यायालय लड़ाई लड़ रही है। सरकार का अमीर गरीब का ये दोहरा रवैया मानवधिकारों का खुला उल्लंघन है। और शिवराज सरकार के भेदभाव अन्याय पू्र्ण रवैये को दर्शाता है। जबकि तात्कालिक खबरों के मुताबिक व्यापम में मनचाहे रोल नंबर से नकल, और परीक्षा उपरांत ओएमआर आंसरशीट में हेरफेर के मामले जमकर उजागर हुए। ऐसे फोटो बदलकर क्लीनचीट देना कितना आसान है।
शिवराज सरकार में गरीब पिछड़ों के साथ अन्याय
2021 के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने पीएमटी 2007 से 2011 तक रोल नंबर हेरफेर नकल मामले में सदन में सरकार से पुलिस कार्रवाई को लेकर सवाल पूछा। भास्कर हिंदी संवाददाता ने जब विधायक प्रजापति से बात की तो उनका कहना है कि सवाल पर सरकार का क्या रूख रहा इसे में पता कर सदन में फिर से रखूंगा। विधायक से दूसरा सवाल किया गया कि सुप्रीम कोर्ट से दोषी पा चुके छात्रों पर पुलिस प्रकरण नहीं किया जबकि फोटो संदिग्ध छात्रों पर सरकार ने एफआईआर दर्ज की है। क्या यह सरकार के दोहरे रवैए को दर्शाता है। इस पर विधायक ने मामला पता कर बाद में उत्तर देने को कहा, सत्र की शुरूआत होते ही ये अटकलें लगाई जा रही है कि व्यापम मुद्दा एक बार फिर सदन में गूंजेगा।