Farmers protest: किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज किया, 14 दिसंबर को देशभर में धरना प्रदर्शन, हाईवे भी किया जाएगा ब्लॉक

Farmers protest: किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज किया, 14 दिसंबर को देशभर में धरना प्रदर्शन, हाईवे भी किया जाएगा ब्लॉक

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-09 11:58 GMT
Farmers protest: किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज किया, 14 दिसंबर को देशभर में धरना प्रदर्शन, हाईवे भी किया जाएगा ब्लॉक
हाईलाइट
  • कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। किसानों में पूरे देश में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है। 14 दिसंबर को देशभर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर हाईवे रोका जाएगा। सभी टोल प्लाजा फ्री किए जाएंगे। किसानों ने दिल्ली की सड़कों को जाम करने की भी बात कही है।

किसान भाजपा नेताओं का नेशनल लेवल पर बायकॉट करेंगे। उनके बंगलों और दफ्तरों के सामने प्रदर्शन किया जाएगा। किसानों ने अंबानी-अडानी के मॉल, प्रोडक्ट, टोल और जियो के सभी प्रोडक्ट को बॉयकॉट करने की बात कही है। किसानों ने कहा कि जबतक एमएसपी की गारंटी का कानून नहीं बनेगा और कृषि कानूनों की वापसी नहीं होगी तब तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि प्रस्ताव गोल-मोल है। सरकार भलाई की बात कह रही है, लेकिन ये कैसे करेगी, स्पष्ट नहीं है।

 

 

- रिलायंस के प्रोडक्‍ट्स का बहिष्कार करने का ऐलान

-14 दिसंबर को देशभर में धरना-प्रदर्शन होगा

- दिल्ली की सड़कों को करेंगे जाम 

- दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-आगरा हाइवे को 12 दिसंबर को रोका जाएगा

- पूरे देश में आंदोलन तेज होगा

- सरकार के मंत्रियों का घेराव होगा

- 14 दिसंबर को बीजेपी के ऑफिस का घेराव होगा

- 14 दिसंबर को हर जिले के मुख्यालय का घेराव होगा   

- 12 दिसंबर को सभी टोल प्लाजा फ्री करेंगे

- कृषि कानूनों के वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा

-दिल्‍ली और आसपास के राज्‍यों से "दिल्‍ली चलो" की हुंकार भरी जाएगी

बता दें कि सरकार ने MSP, मंडी सिस्टम पर अपनी ओर से कुछ संशोधन सुझाए थे। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून पर भी किसानों को काफी समस्याएं हैं, जिसे देखते हुए इस कानून में संशोधन भी किया जाएगा। निजी कंपनियों की मनमानी पर भी किसानों ने आपत्ति दर्ज कराई है। ऐसे में सरकार ने ये फैसला लिया है कि निजी कंपनियों पर कुछ टैक्स लग सकता है।

किसान चाहते हैं कि कृषि सुधार कानूनों को रद्द किया जाए। इसे लेकर सरकार का कहना है कि हम खुले मन से इस पर विचार को तैयार हैं। किसानों ने मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि फसलों का कारोबार निजी हाथों में चला जाएगा। जबकि सरकार ने किसानों को MSP पर लिखित आश्वासन की बात कही है। किसानों की एक और चिंता है कि उनकी जमीन पर बड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे। किसानों की इस चिंता पर सरकार का कहना है कि किसान की जमीन पर कोई भी ढांचा नहीं बनाया जा सकता। ढांचा बना तो भी मिल्कियत किसान की ही होगी।

किसानों का कहना है कि कृषि सुधार कानूनों से APMC मंडियां कमजोर होंगी। किसान प्राइवेट मंडियों के चंगुल में फंस जाएगा। इस पर सरकार का कहना है कि राज्य सरकारें प्राइवेट मंडियों का रजिस्ट्रेशन कर सकें और उनसे सेस वसूल सकें, ऐसी व्यवस्था की जाएगी। किसानों का ये भी कहना है कि उनकी जमीन की कुर्की हो सकती है। किसानों की इस चिंता पर सरकार ने कहा कि वसूली के लिए कुर्की नहीं होगी। फिर भी इस पर सफाई दी जाएगी। कृषि कानूनों के अनुसार किसान सिविल कोर्ट नहीं जा सकते। ऐसे में सरकार किसानों को सिविल कोर्ट जाने का अधिकारी दे सकती है। 

किसानों का कहना है कि अगर पैन कार्ड दिखाकर फसल खरीद होगी तो धोखा भी होगा। इस पर सरकार ने कहा कि राज्य सरकारें फसल खरीदने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन का नियम बना सकेंगी। किसानों का यह भी कहना है कि पराली जलाने पर जुर्माना और सजा हो सकती है। सरकार ने इस पर किसानों की आपत्तियों को दूर करने का भरोसा दिलाया है। एक और चिंता जो किसानों को है वो एग्रीकल्चर एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं होना है। सरकार ने किसानों की इस समस्या पर कहा कि एग्रीमेंट होने के 30 दिन के अंदर उसकी एक कॉपी एसडीएम ऑफिस में जमा कराने की व्यवस्था की जाएगी।

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