हर व्यक्ति था सुषमा का मुरीद, विदेश में फंसे भारतीयों को बचाने में थीं सबसे आगे
हर व्यक्ति था सुषमा का मुरीद, विदेश में फंसे भारतीयों को बचाने में थीं सबसे आगे
- 67 वर्ष की उम्र में हुआ निधन
- दिल्ली के एम्स अस्पताल में ली अंतिम सांस
- हार्ट अटैक के चलते हुआ सुषमा स्वराज का निधन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का 67 वर्ष की उम्र में मंगलवार शाम निधन हो गया, हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। वैस तो सुषमा स्वराज के राजनीतिक जीवन में कई ऐसी छोटी बड़ी घटनाएं हुईं, जो काफी चर्चित रहीं, लेकिन विदेश मंत्री के कार्यकाल में मानवता से जुड़े कुछ कदम उठाने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
सुषमा स्वराज की कोशिश के बाद ही 15 साल तक पाकिस्तान में फंसी रही गीता की वतन वापसी हो पाई थी। गीता जब 8 साल की थी, तब भटककर पाकिस्तान पहुंच गई थी, लेकिन जब उसे भारत वापस लाया गया, तब उसकी उम्र 23 साल हो चुकी थी। भारत आने के बाद गीता सबसे पहले सुषमा से ही मिली थी।
लीबिया में विद्रोहियों और सरकार के बीच भयानक जंग छिड़ गई थी, जिसमें कई भारतीय फंस गए थे। उन्होंने लीबिया से भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने की पूरी तैयारी की थी। इस ऑपरेशन में 29 भारतीयों की जान बचाई गई थी, हालांकि एक नर्स और उसके बेटे की मौत हो गई थी।
दक्षिण सूडान में छिड़े सिविल वॉर में भी सैकड़ों भारतीय फंस गए थे, जिन्हें विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के हस्तक्षेप के बाद ही सुरक्षित निकाला जा सका था। इस राहत कार्य को ऑपरेशन संकटमोचन नाम दिया गया था, इस ऑपरेशन के तहत 150 से ज्यादा भारतीयों को बचाया गया था, जिसमें 56 लोग केरल के शामिल थे।
यमन में जब सरकार और हूथी विद्रोहियों के बीच जंग छिड़ गई थी तो हजारों भारतीय फंस गए थे, जंग बढ़ने के साथ-साथ सऊदी अरब की सेना लगातार यमन पर बम बरसा रही थी। इसी बीच यमन में फंसे भारतीयों ने मदद के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से गुहार लगाई, उन्होंने फौरन भारतीयों की मदद के लिए ऑपरेशन राहत चलाकर साढ़े पांच हजार से ज्यादा लोगों को बचाया। ऑपरेशन की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत के अलावा यमन में फंसे 41 देशों के नागरिकों को इस ऑपरेशन के जरिए ही बचाया गया।