परिसीमन आयोग के प्रस्तावों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती
अनुचित प्रस्ताव को वैधानिक आधार PC अध्यक्ष गनी परिसीमन आयोग के प्रस्तावों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती
- सांसदों को कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी जा सकती
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर । पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने बुधवार को कहा कि परिसीमन आयोग के प्रस्तावों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। लोन ने कहा कि पीपुल्स अलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) के नेता मीडिया के सामने झूठ बोल रहे हैं कि वे परिसीमन आयोग के प्रस्तावों को अदालत में चुनौती देंगे, जबकि ऐसा किया ही नहीं जा सकता।
पीएजीडी नेताओं की ओर से मंगलवार को हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया था कि यदि परिसीमन आयोग अपने मसौदा प्रस्तावों को नहीं बदलता है, तो पीएजीडी इसे अदालत में चुनौती देगा। पीएजीडी नेताओं की इसी टिप्पणी को खारिज करते हुए सज्जाद गनी लोन ने अपने ट्विटर पेज पर कहा क्या कोई उन्हें (पीएजीडी) बताएगा कि इस रिपोर्ट को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। इसे कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी जा सकती है। ईश्वर के लिए झूठ बोलना बंद करें।
बता दें कि केद्र शासित प्रदेश की विधानसभा सीटों के सीमांकन के लिए गठित परिसीमन आयोग ने जम्मू क्षेत्र के लिए छह अतिरिक्त सीटें और कश्मीर क्षेत्र के लिए एक अतिरिक्त सीट प्रस्तावित की है। आयोग ने इस पर राष्ट्रीय राजधानी में अपने पांच सदस्यों- नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन सांसदों और भारतीय जनता पार्टी के दो सांसदों के साथ सोमवार को चर्चा की थी।
सज्जाद लोन गनी ने ट्विटर कमेंट्स की एक सीरीज में कहा क्या कश्मीर के लोगों को यह जानने का हक नहीं कि तीन सांसदों को यह पता होना चाहिए था कि वे परिसीमन आयोग के दस्तावेज को वैधानिक आधार दे रहे हैं जिसे कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी जा सकती। राजनीतिक वैधानिकता नेशनल कॉन्फ्रेंस ने दे दी। उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल कान्फ्रेंस द्वारा यू-टर्न लेते हुए (अपने फैसले से पलटने से) परिसीमन आयोग की बैठक में भाग लेने से आयोग के बेहद अनुचित प्रस्ताव को वैधानिक आधार मिल गया है।
(आईएएनएस)