निर्भया केस: दोषी पवन ने फांसी से बचने दाखिल की क्यूरेटिव याचिका, उम्रकैद की करी मांग
निर्भया केस: दोषी पवन ने फांसी से बचने दाखिल की क्यूरेटिव याचिका, उम्रकैद की करी मांग
- फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग
- दोषी पवन गुप्ता ने दाखिल की क्यूरेटिव याचिका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। निर्भया केस के दोषी अपनी फांसी टालने के लिए कई हथकड़ें अपना रहे हैं। दो बार चारों की डेथ वारंट बढ़ चुकी है। अब गुनहगार पवन गुप्ता (Pawab Gupta) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में क्यूरेटिव याचिका (Curative Petition) दाखिल की है। याचिका में पवन ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की है। गौरतलब है कि चारों को 3 मार्च की सुबह फांसी मुकरर की गई है।
बढ़ सकती है तारीख
चारों दोषियों की डेथ वारंट की तारीख फिर आगे बढ़ सकती है। दरअसल पवन ने अभी तक सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल नहीं की थी और न राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई है। वहीं उनके वकील एपी सिंह ने कहा है कि पवन गुप्ता ने याचिका में फिर से घटना के समय नाबालिग होने की बात कही है।
Next hearing will be done through video conferencing. https://t.co/vHnM3acL9T
— ANI (@ANI) February 28, 2020
सरकारी सलाहकार से मिलने से किया इनकार
इससे पहले पवन गुप्ता ने अपने नए कानूनी सलाहकार रवि काजी से मिलने इनकार कर दिया है। एपी सिंह के केस छोड़ने के बाद अदालत ने रवि काजी को पवन का वकील नियुक्त किया था। चारों दोषियों में पवन गुप्ता ही ऐसा है, जिसके पास अब भी क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका के दो कानूनी विकल्प बचे हैं। अब पवन के इनकार के बाद यह मामला थोड़ा फंस गया है। पवन ने डेथ वारंट जारी होने के बाद से अपने वकील रवि काजी से कोई संपर्क नहीं किया है।
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दोषियों को अंग दान का विकल्प दिया जाए
वहीं सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है। जिसमें दोषियों को मेडिकल रिसर्च के लिए शरीर और अंग दान करने का विकल्प देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि चारों को शरीर और अंग दान का विकल्प दिया जाएं। याचिका में मृत्युदंड पाए कैदियों व अन्य कैदी के अंग दान के बारे में एक नीति बनाए जाने की भी मांग की गई है।
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3 मार्च को होगी फांसी
बता दें कि अदालत ने 17 फरवरी को तीसरी बार डेथ वारंट जारी करते हुए निर्भया के चारों दोषियों विनय सहित मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार को तीन मार्च की सुबह छह बजे फांसी देने का आदेश दिया था।