अदालत ने चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम को जमानत देने से किया इनकार
एनएसई घोटाला अदालत ने चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम को जमानत देने से किया इनकार
- सीबीआई मई 2018 से मामले की जांच कर रही
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को पूर्व एनएसई प्रमुख चित्रा रामकृष्ण और पूर्व कर्मचारी आनंद सुब्रमण्यम को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिन्हें जांच एजेंसी ने एनएसई को-लोकेशन मामले में गिरफ्तार किया था। राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष सीबीआई जज ने दलीलें सुनने के बाद उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद रामकृष्ण और सुब्रमण्यम दोनों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है।
को-लोकेशन घोटाले का मामला एक्सचेंजों के कंप्यूटर सर्वर से सूचनाओं का गलत तरीक से शेयर ब्रोकर्स तक पहुंचाने से जुड़ा है। को-लोकेशन घोटाला यह दर्शाता है कि कैसे कुछ ब्रोकर, जो एनएसई द्वारा दी गई को-लोकेशन सुविधा में अपने सर्वर को स्टॉक एक्सचेंज परिसर के भीतर रख सकते हैं, जिससे उन्हें बाजारों तक तेजी से पहुंच मिल सके, मगर उन्होंने इसका सही प्रकार से उपयोग नहीं किया। आरोप है कि उन्होंने अंदरूनी सूत्रों की मिलीभगत से एल्गोरिदम का दुरुपयोग करते हुए अप्रत्याशित लाभ कमाया। सीबीआई मई 2018 से मामले की जांच कर रही है।
हाल ही में, सेबी ने रामकृष्ण पर 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जब बाजार नियामक ने पाया कि उन्होंने कथित तौर पर एक रहस्यमय हिमालयी योगी के साथ एनएसई के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की, जिसमें संगठनात्मक संरचना, लाभांश परि²श्य (डिविडेंड सिनेरियो), वित्तीय परिणाम, मानव संसाधन, नीतियों और संबंधित मुद्दों, नियामक को प्रतिक्रिया (रिस्पॉन्स टू रेगुलेटर) की जानकारी शामिल थी।
1 अप्रैल 2013 को रामकृष्ण एनएसई की सीईओ और एमडी बनी थीं। वह सुब्रमण्यम को अपने सलाहकार के रूप में एनएसई में लेकर आईं। सुब्रमण्यम को एनएसई का मुख्य रणनीतिक सलाहकार बनाया गया था। उन्होंने पूंजी बाजार में कोई जोखिम नहीं होने के बावजूद 2015 और 2016 के बीच समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार बनने से पहले 2013 और 2015 के बीच इस पद पर कार्य किया।
पहले बामर और लॉरी में मिड-लेवल मैनेजर के रूप में काम करते हुए, उनका वेतन 15 लाख रुपये से बढ़कर 1.68 करोड़ रुपये सालाना और फिर 4.21 करोड़ रुपये हो गया था। सुब्रमण्यम ने अक्टूबर 2016 में एनएसई छोड़ दिया और दिसंबर 2016 में रामकृष्ण ने भी छोड़ दिया। सीबीआई 2018 में मामले में हरकत में आई और एजेंसी तब से इस मामले की जांच कर रही है।
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