Corona's Havoc : आनंद विहार बस टर्मिनल पर अफरा-तफरी, बदइंतजामी के बीच घर जाने उमड़े हजारों लोग
Corona's Havoc : आनंद विहार बस टर्मिनल पर अफरा-तफरी, बदइंतजामी के बीच घर जाने उमड़े हजारों लोग
- घर लौटने के लिए हजारों की तादाद में निकले
- देशभर में मजदूरों का पलायन एक बड़ी चुनौती
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण केंद्र सरकार का लॉकडाउन मजदूरों पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। हजारों की संख्या में लोग बड़े शहरों से अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं। लॉकडाउन के चौथे दिन शनिवार को देशभर में मजदूरों का अपने-अपने घर के लिए पलायन एक बड़ी चुनौती बनकर सामने दिखा। दिल्ली-एनसीआर का हाल सबसे बुरा है, जहां मजदूर, रिक्शा चालक और फैक्ट्री कर्मचारी अपने अपने गांव की ओर लौटने के लिए हजारों की तादाद में निकल पड़े हैं, लेकिन सिर्फ दिल्ली एनसीआर नहीं, बल्कि देश के दूसरे छोटे बड़े शहरों से भी लोगों का पलायन इसी तरह से जारी है। चाहे वो कानपुर हो, सोनीपत हो या फिर सिरसा या आगर मालवा। दिल्ली के आनंद विहार अंतरराज्यीय बस अड्डे पर शनिवार शाम पलायन करने वाले लोगों की भारी भीड़ लग गई जहां बदइंतजामी देखने को मिली।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से राजधानी दिल्ली छोड़कर मजबूरन पैदल अपने घर जाने वाले लोगों के लिए 200 बसों की व्यवस्था की घोषणा करने के बाद आनंद विहार बस टर्मिनल पर हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई है। इतनी बड़ी संख्या जुटी लोगों की भीड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस अपील को धता बता रही है, जिसमें पीएम ने लोगों से सोशल डिस्टेसिंग रखने की बात कही थी। ऐसे में यहां यदि एक भी कोविड-19 पॉजिटिव होता है तो वह कई लोगों को संक्रमित कर सकता है। क्योंकि यहां लोग न तो मास्क लगाए हुए हैं और न ही कोई एक दूसरे से दूरी बनाए हुए हैं।
दिल्ली में जारी लॉकडाउन के दौरान लोग पैदल आनंद विहार जा रहे प्रवासी सूर्यभान ने बताया कि मैं दिल्ली ओखला से आ रहा हूं और आजमगढ़ जा रहा हूं। दिक्कत ये है कि कंपनी बंद हो गई है और बिना काम के यहां रुकना मुश्किल है। साहब जब हमें मरना होगा तो अपने देश में मरेंगे, अपने गांव में मरेंगे।
बस मिलने की खबर से मची भगदड़
शनिवार शाम तक ऐसी खबर आई कि यूपी सरकार ने लोगों को उनके घरों तक जाने के लिए बसें उपलब्ध करवाई हैं। इस एक खबर ने यूपी-बिहार के गरीब मजदूरों में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा कर दी। सभी लोगों को लगा कि अब उनके लिए बसें मिल जाएंगी। यही कारण है कि शनिवार शाम को भारी संख्या में लोग आनंद विहार बस अड्डे पहुंचने के लिए निकल पड़े, लेकिन बस अड्डे पर ऐसे यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा है और बसें नाम मात्र की हैं, लिहाजा लोग किसी भी हालत में यहां से निकल जाना चाहते हैं।
पकड़े जाने के डर से रेल की पटरियों से सहारे चल पड़े मजदूर
भारी संख्या में ये प्रवासी मजदूर पैदल ही सड़क के सहारे अपने घरों के लिए निकल चुके हैं, लेकिन शनिवार शाम को आनंद विहार बस अड्डे पर इन्हें यह खबर लगी कि बीच रास्तों में पुलिस प्रशासन उन्हें पकड़ रहा है। इस डर से लोग रेल की पटरियों के सहारे जाने के लिए निकल चुके हैं। इनके मजदूरों के दलों में न खाने की कोई व्यवस्था है और न ही कोरोना के संक्रमण का कोई डर दिख रहा है। बस किसी भी हालत में ये लोग अपने घरों को पहुंचना चाहते हैं और उसके लिए अपने घरों की ओर निकल चले हैं।
सुरक्षा बड़ा खतरा
सड़क या रेल पटरियों के सहारे अपनी मंजिल की ओर निकल चुके इन लोगों की सुरक्षा आने वाले समय में बड़ा विषय बन सकता है। इन छोटे-छोटे दलों में महिलाएं और बच्चे हैं। कुछ कपड़े और कुछ बेहद जरुरी सामान लेकर लोग निकल पड़े हैं। लेकिन रास्ते में इनकी सुरक्षा कैसे होगी, इसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है। इन्हें भी मालूम है कि इनकी सुरक्षा खतरे में है। सुरक्षा का सवाल पूछने पर आज़मगढ़ के नवीन कुमार ने कहा कि हमारी जिन्दगी तो पहले ही खतरे में है। बच गए तो घर पहुंचेगे, लेकिन यहां रुकेंगे तो भूख से ही मरना निश्चित है।
मकान मालिक ने फेंका सामान
वे आनंद विहार रेलवे स्टेशन की रेल पटरियों के सहारे लखनऊ के लिए निकल चुकी गुड़िया ने बताया कि वह लखनऊ के मलीहाबाद की रहती है। उसने बताया कि अगर उन्हें दिल्ली में खाना मिल ही जाता तो रात में चोरों की तरह क्यों भागते? मकान मालिक ने उनका सामान निकालकर बाहर फेंक दिया था, लेकिन अगर खाना मिल गया होता तो कहीं टेंट में ही रहकर जिंदगी गुजार लेते। जब खाना नहीं मिला तो वे अपनी किस्मत के भरोसे तीनों बच्चों के साथ निकल पड़ीं। सड़क से जाते समय उन्हें पकड़े जाने का डर है। उन्हें अपनी मंजिल कब मिलेगी, अपने घर तक कैसे पहुंचेंगी, इसका कोई अंदाजा नहीं है। रास्ते में बच्चों की भूख कैसे मिटेगी, इस सवाल पर उनकी आंखें केवल आसमान की ओर उठ जाती हैं। उनके गले से कोई आवाज नहीं निकलती।
खाने की व्यवस्था नहीं है, इसलिए पैदल जाने का निर्णय किया
यूपी के सुल्तानपुर निवासी महेश ने बताया कि करीब 15 दिन हो गए हैं। उनके पास कोई काम नहीं है। खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं है। दिल्ली सरकार के रैन बसेरों या स्कूलों में भी उन्हें खाने की कोई व्यवस्था होती नहीं दिखी तो पैदल ही घर जाने का निर्णय कर लिया। अब वे अपने चार अन्य साथियों के साथ सुल्तानपुर के लिए निकल चुके हैं। लगभग 650 किलोमीटर का दिल्ली से सुल्तानपुर का उनका सफर कैसे गुजरेगा, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
सीएम बोले- एक-दो दिन में सब ठीक कर लिया जाएगा, लेकिन...
कोरोना संक्रमण फैलने के डर से लॉकडाउन हुई दिल्ली से यूपी-बिहार भागने वालों में गुड़िया जैसे हजारों लोग हैं। इन सबकी कहानी एक जैसी है, सबका दर्द एक ही है और सबके सवाल भी एक ही है, लेकिन इन सवालों का फिलहाल जवाब किसी के पास नहीं है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली से किसी को भागने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार सबकी मदद के लिए पहुंच रही है। किसी जगह कोई कमी रह गई है तो एक-दो दिनों में सब ठीक कर लिया जायेगा, लेकिन मुख्यमंत्री की तरह इन गरीबों के पास एक-दो दिन का टाइम नहीं है। अपनी किस्मत के भरोसे वे निकल पड़े हैं।