मप्र में नर्मदा क्षेत्र में नारियल खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर

मप्र में नर्मदा क्षेत्र में नारियल खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर

Bhaskar Hindi
Update: 2020-11-26 07:00 GMT
मप्र में नर्मदा क्षेत्र में नारियल खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर
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भोपाल, 26 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश सरकार नर्मदा घाटी क्षेत्र (वैली) इलाके में नारियल की खेती के जरिए किसानों की तकदीर बदलने की तैयारी कर रही है। कुछ किसानों के सफल हुए प्रयोगांे से सरकार भी उत्साहित है।

जबलपुर के लमेटा घाट क्षेत्र में किसान अनिल पचौरी ने नर्मदा ग्रीन पार्क के जरिए किसानों के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है। दस एकड़ के इस कृषि फॉर्म में नारियल के पेड़ लहलहाने लगे हैं और उन पर नारियल की फसल आनी शुरू हो गई है। यहां नारियल के पेड़ों के बीच गुलाब के फूल भी उगाए जा रहे हैं, इसके साथ ही चना और तुअर की खेती भी हो रही है। यह पूरी तरह रसायनों से दूर जैविक ख्रेती है।

क्ृषि मंत्री कमल पटेल ने अनिल पचौरी के फार्म हाउस का भ्रमण करने के बाद कहा कि इस तरह की वैकल्पिक खेती को प्रोत्साहित करके किसानों की आय को तेजी से बढ़ाया जा सकता है। अन्य किसानों को प्रेरित करने के साथ ही वह अपने गृहग्राम बारंगा में भी नारियल की खेती शुरू करेंगे।

नर्मदा ग्रीन पार्क के संचालक अनिल पचौरी ने बताया कि नारियल का पेड़ वायुमंडल से अपने लिए पानी लेता है, इस लिहाज से नर्मदा नदी के किनारे की आद्र्रता नारियल के लिए मुफीद साबित हुई है। नारियल को लक्ष्मी का पौधा कहा जाता है, एक बार लग जाने के बाद यह हमेशा धनवर्षा करता है।

पचौैरी ने पारंपारिक खेती के साथ नारियल के पेड़ लगाने पर दस एकड़ में एक करोड़ रुपये तक के टर्नओवर का दावा किया। उन्होंने कहा कि नारियल का पेड़ 80 से 90 साल तक फल देता है, एक पेड़ में एक साल के भीतर 400 से 500 फल आते हैं, इन्हें पक्षियों और अन्य जीवों के साथ आंधी तूफान से भी नुकसान नहीं होता, नारियल का पेड़ हर हाल में लाभ पहुंचाता है।

कृषि मंत्री पटेल ने कहा है कि नर्मदा वैली में नारियल की उपज को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार अनिल पचौरी की मदद लेगी। इसके अलावा अन्य किसान जो नारियल की खेती करना चाहते हैं, उनकी हर संभव मदद की जाएगी। दक्षिण भारत की समृद्धि में नारियल का बड़ा योगदान है। मध्य प्रदेश में भी नर्मदा क्षेत्र में यह खेती समृद्धि को बढ़ाने में मददगार हो सकती है।

एसएनपी-एसकेपी

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