महाराष्ट्र : कल राज्यपाल से मिलेंगे शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी के नेता, पेश करेंगे सरकार बनाने का दावा

महाराष्ट्र : कल राज्यपाल से मिलेंगे शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी के नेता, पेश करेंगे सरकार बनाने का दावा

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-15 05:16 GMT
महाराष्ट्र : कल राज्यपाल से मिलेंगे शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी के नेता, पेश करेंगे सरकार बनाने का दावा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बाद राज्य में नई सरकार की सुगबुगाहट फिर तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच न्यूनतम साझा कार्यक्रम (Common Minimum Program) को लेकर सहमति बन गई है। अब तक जिन मुद्दों पर सहमति की जानकारी मिली है उनमें किसान कर्जमाफी, फसल बीमा योजना की समीक्षा, रोजगार और छत्रपति शिवाजी महाराज और बीआर अंबेडकर स्मारक शामिल हैं। सावरकर-मुस्लिम आरक्षण और हिन्दुत्व पर शिवसेना अभी भी अटकी हुई है। इन्हें साझा कार्यक्रम से बाहर रखा गया है। हालांकि असहमति के मुद्दे किनारे छोड़ दिए गए और महाराष्ट्र की जनता को ध्यान में रखकर तीनों पार्टियों ने सरकार का एजेंडा तय किया है। 

 

 

क्या है 14-14-12 का फॉर्मूला 
इस समझौते के तहत शिवसेना को पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद मिलेगा, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 14 और कांग्रेस को 12 मंत्री पद मिलेंगे। खुद शिवसेना के खाते में भी मुख्यमंत्री पद के अलावा 14 मंत्री पद भी आएंगे। इसके साथ एनसीपी और कांग्रेस से को एक-एक उपमुख्यमंत्री का पद भी दिया जाएगा। 

इन मुद्दों पर सहमत-असहमत
सूत्रों के अनुसार, सरकार बनाने से पहले एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के बीच कई बैठके हुई। जिनमें सभी पार्टियों ने अपने मुद्दे रखे। तीनों दलों के बीच हुए समझौते में हिंदुत्व के मुद्दा को शामिल नहीं किया गया है। सीएमपी पर किसानों और युवाओं से जुड़े मामलों पर फोकस करने पर भी सहमति बनी है। कुछ मामले ऐसे हैं जिन पर आपसी रजामंदी नहीं बन सकी है। समझौते में शिवसेना ने विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की मांग की है तो वहीं कांग्रेस-एनसीपी मुसलमानों को 5 फीसदी आरक्षण देने की मांग कर रही है।  माना जा रहा है कि इन दोनों मुद्दों पर विवाद बना हआ है। इस हफ्ते कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी नेता शरद पवार के बीच दिल्ली में मुलाकात हो सकती है। उसके बाद इन मुद्दों का समाधान निकाला जा सकता है। 

महाराष्ट्र में लगा राष्ट्रपति शासन 
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 21 अक्टूबर को बीजेपी और शिवसेना ने एक साथ लड़ा था। बीजेपी ने 105 सीटें जीती थीं। शिवसेना के खाते में 56 सीटों आई थीं। जबकि कांग्रेस 44 और एनसीपी ने 54  सीटें हासिल की। इसके बाद मुख्यमंत्री के पद को लेकर पैदा हुए गतिरोध के चलते दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे से किनारा कर लिया था। बीजेपी ने घोषणा कर दी कि वह राज्य में अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में गवर्नर ने राज्य की दूसरी बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता दिया। लेकिन, शिवसेना एनसीपी के साथ दिए गए समय में समर्थन पेश नहीं कर सकी, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

बीजेपी की बैठकों का दौर भी जारी
बीजेपी में भी बैठकों का दौर जारी है। देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और अन्य वरिष्ठ नेता सरकार बनाने को लेकर मंथन कर रहे हैं। बैठक के दौरान किसानों को मदद पहुंचाने पर भी चर्चा की गई। चुनाव के बाद मुंबई में पहली बार आगे की रणनीति को लेकर सभी विधायकों की बैठक हुई। जिसमें समर्थन देने वाले सभी निर्दलीय विधायक भी मौजूद थे।

एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा, बार-बार सवाल पूछा जा रहा है शिवसेना का सीएम होगा क्या ? सीएम पोस्ट को लेकर शिवसेना-बीजेपी के बीच विवाद हुआ, तो निश्चित रूप से सीएम शिवसेना का होगा। शिवसेना को अपमानित किया गया है, उनका स्वाभिमान बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी बनती है। 

अपने जन्मदिन पर शिवसेना नेता संजय राउत ने शायरा अंदाज में कहा, बन्दे है हम उसके हम पर किसका जोर, उम्मीदों के सूरज निकले चारों ओर


महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चलेगी सरकार। नंबर की चिंता मत करो, फैसला उद्धव ठाकरे करेंगे और शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा। राउत ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि 25 साल तक शिवसेना का सीएम रहे, हम ये क्यों कहेंगे कि 2.5 साल सीएम रहे, जो भी सरकार बनेगी शिवसेना के नेतृत्व में बनेगी। लाख कोशिश के बाद भी कोई रोक नहीं सकता।

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