शाह सोमवार को लोकसभा में पेश करेंगे नागरिकता संशोधन बिल, विपक्ष का विरोध जारी
शाह सोमवार को लोकसभा में पेश करेंगे नागरिकता संशोधन बिल, विपक्ष का विरोध जारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छह दशक पुराने नागरिकता अधिनियम में मोदी सरकार परिवर्तन करने जा रही है। इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पेश करेंगे। इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रयास किया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सभी सांसदों को 9 से 11 दिसंबर तक संसद में मौजूद रहने के लिए कहा है। तीन दिन के लिए अपने सांसदों के लिए सत्तारूढ़ पार्टी ने बकायदा व्हिप जारी किया है।
Citizenship Amendment Bill to be introduced in Lok Sabha by Amit Shah tomorrow
— ANI Digital (@ani_digital) December 8, 2019
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CAB पर सोमवार को लोकसभा में बहस होने की संभावना है। मोदी सरकार इसी दिन निचले सदन से बिल को पारित करवाना चाहती है। जहां बीजेपी के पास बहुमत है। कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, सीपीएम, एनसीपी और डीएमके समेत अन्य दल बिल का विरोध कर रही है। इसी को लेकर आज (रविवार) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने कहा कि इसके पारित होने का मतलब महात्मा गांधी के विचारों पर मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों की जीत होगा। धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत "पाकिस्तान का हिंदुत्व संस्करण" बन जाएगा। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार "एक समुदाय" अलग करना चाहती है।
शशि थरूर ने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत का स्तर गिरकर ‘पाकिस्तान का हिन्दुत्व संस्करण" हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होता है तो मुझे विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के मूल सिद्धांतों के ‘खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन’ को अनुमति नहीं देगा।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार "एक समुदाय" को अलग करना चाहती है और उसके सदस्यों को उसी तरह की परिस्थितियों के शिकार अन्य समुदायों की तरह से राजनीतिक शरण देने से इनकार कर रही है। थरूर ने कहा कि यह हमें पाकिस्तान के हिंदुत्व संस्करण में सीमित कर देगा। उन्होंने कहा, "इस बिल का पारित होना जिन्ना के विचारों की महात्मा गांधी के विचारों पर निर्णायक जीत होगी।" बता दें कि सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा में पेश करने जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ही नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी थी, हालांकि कई विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने ट्वीट कर कहा है कि हम नागरिकता संशोधन विधेयक के दांत और नाखून का विरोध करेंगे क्योंकि यह हमारे संविधान, धर्मनिरपेक्ष लोकाचार, परंपरा, संस्कृति और सभ्यता का उल्लंघन है।
Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury: We will oppose the #CitizenshipAmendmentBill tooth and nail because it is in violation of our Constitution, secular ethos, tradition, culture and civilization. pic.twitter.com/r7NIM5xhRg
— ANI (@ANI) December 8, 2019
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर 10 जनपथ पर कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह की बैठक में भाग लेने के बाद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि मैं सभी पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (NEDA) पार्टियों से अपील करता हूं कि वे आपके पूर्वोत्तर के पीपीएल के साथ खड़े हों। राजनीतिक मजबूरियों के लिए बीजेपी का साथ न दें।
Congress MP Gaurav Gogoi after attending Congress Parliamentary Strategy Group Meeting at 10 Janpath over #CitizenshipAmendmentBill: I appeal to all North-East Democratic Alliance (NEDA) parties to stand with your ppl of northeast. Do not side with BJP for political compulsions. pic.twitter.com/wWrKhwJazc
— ANI (@ANI) December 8, 2019
र्थ-ईस्ट के नेताओं से शाह की गुफ्तगू
अमित शाह सहित बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने इस विषय पर राजनीतिक दलों और पूर्वोत्तर के नागरिक समूहों से व्यापक चर्चा की है। इन नेताओं ने उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की। अगर नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के इस शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों से पास हुआ तो फिर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। उधर, आरएसएस का कहना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने पर गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में किसी तरह का ‘खेल’ नहीं होने दिया जाएगा।
"दो से तीन करोड़ अल्पसंख्यकों को लाभ"
नागरिकता बिल संसद में पारित होने के बाद पड़ोसी तीनों देशों से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। संघ का मानना है कि बिल के कानून का रूप लेने के करीब सालभर तक नागरिकता देने का काम पूरा हो जाएगा। करीब दो से तीन करोड़ अल्पसंख्यकों को इससे लाभ मिलेगा। मगर इसमें किसी तरह की चूक से रोकने के लिए उन सामाजिक संगठनों की मदद ली जाएगी जो इन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं।