भारत-चीन तनाव: आर्मी चीफ ने फील्ड कमांडर्स से कहा- किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहें, भारतीय नौसेना ने भी हिंद महासागर में बढ़ाई युद्धपोतों की तैनाती
भारत-चीन तनाव: आर्मी चीफ ने फील्ड कमांडर्स से कहा- किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहें, भारतीय नौसेना ने भी हिंद महासागर में बढ़ाई युद्धपोतों की तैनाती
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लगातार गतिरोध बना हुआ है। चीन के सैनिक भारी संख्या में तैनात हैं और पीछे हटने में अब भी कई जगहों से आनाकानी कर रहे हैं। ऐसे में आर्मी चीफ मुकुंद नरवणे ने अधिकारियों को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने शुक्रवार को फील्ड कमांडरों से कहा कि वह किसी भी हालात के लिए तैयार रहें और उच्चतम कार्रवाई की तैयारियां पूरी रखें। वहीं हिंद महासागर क्षेत्र में अपने युद्धपोतों की तैनाती में पर्याप्त वृद्धि के साथ ही भारतीय नौसेना चीन के साथ सीमा तनाव से संबंधित जारी गतिविधियों में सेना की अन्य शाखाओं को रणनीतिक मदद मुहैया करा रही है।
गौरतलब है कि सेना प्रमुख नरवणे दो दिन के तेजपुर (असम) और लखनऊ के दौरे पर हैं। आर्मी चीफ ने ये बात हाल के तेजपुर स्थित चौथी कोर मुख्यालय के दौरे के वक्त कही। इस दौरान उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर भारत की सैन्य तैयारियों की व्यापक स्तर पर समीक्षा की। समाचार एजेंसी एएनआई ने सैन्य सूत्रों के हवाले से कहा कि आर्मी चीफ ने सभी कमांडर्स से निर्देश दिए कि किसी भी हालात के लिए तैयार रहें और मोर्चे पर उच्चस्तरीय ऑपरेशनल तैयार को बरकरार रखें। इससे पहले नरवणे शुक्रवार को लखनऊ पहुंचे थे। यहां उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सभी स्तर के कमांडरों से मुलाकात और बातचीत की।
पूर्वी लद्दाख में 40 हजार भारतीय सैनिक और बख्तरबंद गाड़ियां तैनात
सेना की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि सेना प्रमुख ने पूर्वी कमान के सभी कोर कमांडरों से बातचीत की और वर्तमान सुरक्षा स्थिति तथा सैन्य अभियान की तैयारियों की समीक्षा की। चीन की सेना ने युद्ध के लिए चार से पांच संयुक्त सशस्त्र ब्रिगेड्स को युद्ध की नीयत से लगा रखा है। भारतीय सेना ने भी करीब 40 हजार जवानों को पूर्व लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात किया है, ताकि चीन की तरफ से सैनिकों के भारी जमावड़े का मुकाबला किया जा सके। चीन की तरफ से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश में भी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बख्तरबंद गाड़ियां और सैनिकों की तैनाती की गई है। भारत के साथ बात करते हुए चीन ने फिंगर एरिया से पूरी तरह हटने से इनकार कर रहा है और समय बढ़ाने के लिए अन्य मुद्दों को उठा रहा है।
हिंद महासागर में भारतीय नौसेना ने बढ़ाई निगरानी
वहीं हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोतों की तैनाती बढ़ाई है। सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि चीन के साथ जब से सीमा तनाव शुरू हुआ है, भारतीय नौसेना ने कथित तौर पर आईओआर में युद्धपोतों की तैनाती बढ़ा दी है। कुछ अनुमानों से संकेत मिलता है कि तैनाती में यह वृद्धि लगभग 25 प्रतिशत है। अधिकारियों ने कहा कि पिछले 100 दिनों में नौसेना को उत्तर में लद्दाख से दक्षिण में मॉरिशस तक और पश्चिम में लाल सागर से पूर्व में मलक्का स्ट्रेट तक संचालन करते देखा गया है।
20 सरकारी एजेंसियों के साथ तट पर भी चौकसी कर रही नौसेना
भारतीय नौसेना ने आईओआर में प्रमुख ठिकानों पर मिशन बेस्ड डिप्लॉयमेंट पर जहाजों को तैनात किया है, ताकि एक व्यापक समुद्री तस्वीर विकसित किया जाए और विकसित हो रहीं स्थितियों से निपटा जाए। बंगाल की खाड़ी, मलक्का स्ट्रेट, अंडमान सागर, दक्षिणी और मध्य हिंद महासागर क्षेत्र, अदन की खाड़ी और फारस की खाड़ी में किसी भी समय युद्धपोत गश्त करते रहते हैं। इसके अलावा समुद्री सुरक्षा संबंधित घटनाओं के बाद एक लड़ाकू युद्धपोत भी फारस की खाड़ी से गुजरने वाले भारतीय व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा के लिए जून 2019 से ऑपरेशन संकल्प पर तैनात किया गया है। नौसेना लगभग 20 सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय में तट के पास भी चौकसी कर रही है, ताकि 26/11 जैसी घटना को रोका जा सके।
आॅस्ट्रेलियाई नौसेना भी कर रही मदद
बता दें कि 15 जून को गलवान घाटी में झड़प के बाद से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के तीनों प्रमुख संयुक्त रेस्पॉन्स को समन्वित करने के लिए दैनिक आधार पर मुलाकात कर रहे हैं। उसके बाद से भारतीय नौसेना चीनी बलों को रणनीतिक संकेत देने के लिए सबसे आगे रही है। इसके अलावा आस्ट्रेलिया के साथ आपसी लॉजिस्टिक्स सपोर्ट समझौते पर जून में हस्ताक्षर होने के बाद भारतीय नौसेना को दक्षिणी हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित कोकोस और कीलिंग द्वीपों तक पहुंच सुलभ हो सकी है, जिससे चीनी नौसेना के जहाजों और हिंद महासागर में प्रवेश करने वाली पनडुब्बियों पर भारतीय नौसेना के जहाज और विमान नजर रखने में सक्षम होंगे। इसी तरह यह समझौता आस्ट्रेलियाई जहाजों और विमानों को अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह तक पहुंच सुलभ कराएगा, ताकि वे दक्षिण चीन सागर तक अपनी पहुंच बना सकें। भारतीय नौसेना ने गलवान संकट के दौरान विदेशी नौसेनाओं के साथ चार संयुक्त अभ्यास किए हैं।