एआईएमआईएम की बंगाल चुनाव में एंट्री, गैर-भाजपा पार्टियों के लिए हो सकती है मुसीबत

एआईएमआईएम की बंगाल चुनाव में एंट्री, गैर-भाजपा पार्टियों के लिए हो सकती है मुसीबत

Bhaskar Hindi
Update: 2020-11-12 14:00 GMT
एआईएमआईएम की बंगाल चुनाव में एंट्री, गैर-भाजपा पार्टियों के लिए हो सकती है मुसीबत
हाईलाइट
  • एआईएमआईएम की बंगाल चुनाव में एंट्री
  • गैर-भाजपा पार्टियों के लिए हो सकती है मुसीबत

नई दिल्ली/कोलकाता, 12 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव में अपने अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित एआईएमआईएम अब पश्चिम बंगाल चुनाव में उतरने की योजना बना रही है, जोकि इस पूर्वी राज्य में गैर-भाजपा पार्टियों के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। पश्चिम बंगाल में 2021 के मध्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई में तेलंगाना आधारित एआईएमआईएम ने बिहार चुनाव में 1.24 वोट प्रतिशत हासिल कर शानदार प्रदर्शन किया और पांच सीट जीतने में सफल रही। पार्टी ने 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे।

एआईएमआईएम ने बिहार में न केवल पांच सीट जीती, बल्कि इतनी ही संख्या के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे राजनीतिक पार्टियों का खेल बिगाड़ा।

वहीं कांग्रेस के पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बिहार में महागठबंधन एआईएमआईएम की वजह से हारा।

एआईएमआईएम की पश्चिम बंगाल में एंट्री से तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, वाम पार्टियों की मुसीबत बढ़ सकती है, क्योंकि पश्चिम बंगाल की सीमा से लगते बिहार के सीमांचल क्षेत्र में जीत के बाद उभरते ओवैसी राज्य में अन्य पार्टियों का खेल बिगाड़ सकते हैं।

पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीट में से 90 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है और ये सीट चुनाव में काफी निर्णायक होंगी। अगर एआईएमआईएम बंगाल में ज्यादा सीट नहीं भी जीतती है, तो भी यह तृणमूल और बिहार की तरह ही कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है।

तृणमूल नेताओं की तरह ही चौधरी का यह मानना है कि ओवैसी भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी तरफ ओवैसी इन आरोपों को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि वह एक राजनीतिक पार्टी चलाते हैं और जहां भी पार्टी की इच्छा होगी, वह चुनाव लड़ेंगे।

आरएचए/एएनएम

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