राम मंदिर फैसले के बाद अयोध्या के अधिकारियों ने अपने नजदिकियों को आसपास खरीदवाई जमीन

यादें 2021 भूमि घोटाला राम मंदिर फैसले के बाद अयोध्या के अधिकारियों ने अपने नजदिकियों को आसपास खरीदवाई जमीन

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-23 06:19 GMT
राम मंदिर फैसले के बाद अयोध्या के अधिकारियों ने अपने नजदिकियों को आसपास खरीदवाई जमीन
हाईलाइट
  • उच्च स्तर जांच की मांग
  • अयोध्या में अफसरों की देखरेख में हुआ जमीन घोटाला
  • विपक्ष का सरकार पर तीखे हमले

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का रास्ता साफ होने के बाद सरकार ने जिन तमाम विकास योजनाओं का खाका खींचा, उनकी जानकारी कुछ चुनिंदा अधिकारियों को थी। आरोप है कि विकास योजनाओं के दायरे या फिर उनके आसपास आने वाली जमीनों के बारे में अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों को जानकारी दी और उन्होंने भविष्य को ध्यान में रखकर  जमीन की सौदेबाजी की।  

                                        

नवंबर 2019 में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या की कई लैंड डील सवालों के घेरे में है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उस वक्त अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा के पिता ने भी राम मंदिर के पास जमीन खरीदी थी। हालांकि बीजेपी की योगी सरकार ने राम मंदिर के पास खरीदी गई जमीन के सौदो की जांच से संबंधित रिपोर्ट  एक हफ्ते में मांगी।  योगी सरकार ने  बड़े पैमाने खरीदी गई जमीन की जांच के आदेश दिए हैं।

आपको बता दें  अफसरों के दम पर उनके सगे संबंधियों ने करोड़ों की जमीनें औने-पौने दाम में खरीदी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर विशेष सचिव राजस्व राधेश्याम मिश्रा को जांच सौंपी गई है। मिश्रा को पांच दिन में जांच पूरी करके रिपोर्ट देने को कहा गया है।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट दी है।  रिपोर्ट में कहा है कि तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज झा भी कम से कम उन 15 अफसरों में शामिल हैं, जिनके रिश्तेदारों ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद प्रस्तावित मंदिर परिसर के आसपास जमीनें खरीदीं।

15 अफसरों के रिश्तेदारों ने खरीदी जमीन
इस साल अगस्त में तत्कालीन डीएम अनुज झा ने राजस्व कोर्ट के पास एक मामला भेजा। इसमें एक दलित शख्स ने शिकायत की थी कि उसकी जमीन 21 बीघे की अवैध जमीन खरीद में शामिल है, जिसे महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने खरीदा था।

                                                     

28 मई 2020 को अनुज झा के पिता ने खरीदी जमीन
रिकॉर्ड्स के मुताबिक 28 मई 2020 को 320.631 वर्गमीटर का एक प्लॉट अयोध्या के मुगलपुरा में खरीदा गया। जमीन की रजिस्ट्री यूपी के आईएएस अफसर अनुज झा के पिता बद्री झा के नाम पर है। इस जमीन को 23 लाख 40 हजार रुपये में खरीदा गया। बताते चलें कि अनुज झा 21 फरवरी 2019 से 23 अक्टूबर 2021 तक अयोध्या के डीएम थे। इस वक्त वह पंचायती राज विभाग के डायरेक्टर हैं और लखनऊ में तैनात हैं।

जमीन खरीदी, कुछ गलत नहीं-अनुज झा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जब अनुज झा से इस मामले में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "अयोध्या एक धार्मिक स्थल है और मेरे पिता बुजुर्ग हैं। अगर वह अपने अंतिम दिनों में यहां रहना चाहते हैं तो इसमें गलत क्या है? क्या वह यहां कोई जमीन नहीं खरीद सकते? इसमें कुछ भी गलत नहीं है।" रेकॉर्ड्स के मुताबिक बद्री झा ने आवासीय (गैर कृषि) जमीन अयोध्या के तुलसीनगर के रहने वाले मंशाराम सिंह से खरीदी। जमीन की रजिस्ट्री में बद्री झा का पता बिहार के मधुबनी जिले में स्थित उनके गांव का है।

ऋषिकेश उपाध्याय, मेयर अयोध्या
अयोध्या के मेयर हैं। फैसले से दो महीने पहले 18 सितंबर 2019 को इन्होंने हरीश कुमार से 30 लाख रुपये में 1,480 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। 9 जुलाई, 2018 को परमहंस शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्रबंधक पद पर रहने के दौरान ऋषिकेश ने रमेश से दान के रूप में अयोध्या के काजीपुर चितवन में 2,530 वर्ग मीटर जमीन ली। सरकारी रेकॉर्ड में जमीन की कीमत "1.01 करोड़ है।

अरविंद चौरसिया, पीपीएस अफसर
पीपीएस अधिकारी अब मेरठ में तैनात। 21 जून 2021 को उनके ससुर संतोष कुमार चौरसिया ने भूपेश कुमार से अयोध्या के रामपुर हलवार

एमपी अग्रवाल, कमिश्नर अयोध्या
एमपी अग्रवाल के ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने 10 दिसंबर, 2020 को बरहटा मांझा में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से ‌‌~31 लाख रुपये में 2,530 वर्गमीटर जमीन खरीदी। उनके बहनोई आनंद वर्धन ने उसी दिन उसी गांव में ट्रस्ट से 15.50 लाख रुपये में 1,260 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। जानकारी के मुताबिक कमिश्नर की पत्नी अपने पिता की फर्म हेलमंड कॉन्ट्रैक्टर्स ऐंड बिल्डर्स एलएलपी में पार्टनर हैं।

दीपक कुमार, पूर्व डीआईजी अयोध्या
26 जुलाई 2020 से 30 मार्च 2021 तक डीआईजी अयोध्या थे। इनकी पत्नी की बहन महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर, 2021 को बरहटा मांझा में 1,020 वर्गमीटर महर्षि रामायण ट्रस्ट से 19.75 लाख रुपये में खरीदा था।

पुरुषोत्तम दास गुप्ता, पूर्व मुख्य राजस्व अधिकारी अयोध्या
20 जुलाई 2018 से 10 सितंबर 2021 के बीच अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी पुरुषोत्तम दास गुप्ता रहे हैं। अब गोरखपुर में एडीएम हैं। उनके साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता ने अमरजीत यादव नाम के एक व्यक्ति के साथ साझेदारी में 12 अक्टूबर 2021 को बरहटा मांझा में 1,130 वर्ग मीटर जमीन ट्रस्ट से "21.88 लाख में खरीदी।

उमाधर द्विवेदी, रिटायर्ड आईएएस
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने बरहटा मांझा में 23 अक्टूबर 2021 को ट्रस्ट से "39.04 लाख में 1,680 वर्ग मीटर जमीन खरीदी।

आयुष चौधरी, पूर्व एसडीएम अयोध्या
अयोध्या में एसडीएम थे। आयुष की चचेरी बहन शोभिता रानी ने अयोध्या के बिरौली में 5,350 वर्ग मीटर जमीन 17.66 लाख रुपये में आशाराम से खरीदी। यह डील 28 मई, 2020 को हुई। 28 नवंबर, 2019 को शोभिता रानी की संचालित आरव दिशा कमला फाउंडेशन ने दिनेश कुमार से "7.24 लाख रुपये में अयोध्या के मलिकपुर में 1,130 वर्ग मीटर जमीन और खरीदी।

विपक्ष को मिला मुद्दा,  निष्पक्ष जांच की मांग

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बीजेपी सरकार पर अयोध्या में हुए भूमि खरीद  घोटाले का बड़ा आरोप लगाया है।  उन्होंने कहा लोगो के विश्वास को बेच दिया गया।गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जमीन खरीदी व हड़पी गई और कुछ भूमि ट्रस्ट को बहुत ज़्यादा पैसों के लिए बेची गईं।  चंदे के पैसों के साथ घोटाला किया गया है।  राम मंदिर के आसपास की जमीन पर लूट लगी हुई है,  बीजेपी  नेता, अधिकारी मिलकर जनता को लूटने में जुटे है। सरकार भगवान के नाम भ्रष्टाचार लूटपाट मची है और लोगों की आस्था से खिलवाड़ की जा रही है। इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।  
 

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सरकार से मांग की है कि अयोध्या जैसी पवित्र भूमि पर अधिकारी-नेताओं व उनके रिश्तेदारों के नाम पर हुई जमीन खरीदी सौंदेबाजी की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी पर निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।  लखनऊ में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बसपा चीफ ने कहा कि  राम मंदिर के आस-पास की जमीन खरीद घोटाले बड़े लोगों का नाम आना एक गंभीर मामला है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।  करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा मामले में केन्द्र तथा राज्य सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।

शीर्ष फैसले के बाद नरेंद्र मोदी ने रखी निर्माण की नींव

9 नवंबर 2019 को 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। राम मंदिर के इतिहास में 5 अगस्त 2020 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। इस दिन बीजेपी सरकार की अगुवाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मंदिर की नींव रखी। 5 अगस्त 2020 पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों भूमि पूजन, जन्मभूमि मंदिर की आधारशिला रखे जाने से प्रारंभ हुआ मंदिर निर्माण कार्य तेजी के साथ चल रहा है। मंदिर के 2023 तक पूर्ण होने की उम्मीद है। राम मंदिर निर्माण कार्य के प्रारंभ हुए  अगस्त 2021 में एक वर्ष बीत गए है। इस एक वर्ष के भीतर मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इसके साथ ही अयोध्या का  विकास तेजी से होना शुरू हो गया है।

2022 में शुरू हो जाएगा अयोध्या  एयरपोर्ट 
 राम मंदिर निर्माण के साथ साथ अयोध्या को एयर कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे को बनाये जाने का कार्य भी  फास्ट चल रहा है।

एक लाख यात्रियों की रुकने की व्यवस्था होगी अयोध्या रेलवे स्टेशन पर
मंदिर के साथ साथ अयोध्या में  विशाल रेलवे स्टेशन का भी निर्माण तेजी से किया जा रहा है। अयोध्या रेलवे स्टेशन को भी राम मंदिर का रूप दिया जा रहा है। मंदिर मॉडल की तर्ज पर रेलवे स्टेशन के ऊपरी भाग रामलला के मंदिर के शिखर की तरह बनाया जा रहा है।  रेलवे स्टेशन में भी तीन शिखर बनाए जा रहे हैं। वहीं रेलवे स्टेशन में एक लाख यात्री एक साथ रुक सकते हैं। 
 

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