निर्भया कांड के बाद क्या महिला अपराध में आई कमी? जानिए, क्या कहते है आंकड़े
यादें ताजा हैं निर्भया कांड के बाद क्या महिला अपराध में आई कमी? जानिए, क्या कहते है आंकड़े
- 49.7% लोगों को लगता है लड़कियां सुरक्षित नहीं है
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। 16 दिसंबर साल 2012 की रात को जब सभी अपने घर पर सो रहे थे। उस वक्त एक लड़की को कुछ दरिंदे हैवानियत का शिकार बना रहे थे और जब 17 दिसंबर की सुबह ये बात आग की तरह फैली तो, पूरा भारत विचलित रह गया। सबकी रुह कांप उठी। बेटियों के घर से बाहर निकलते ही दिल धड़क रहा था। सांसे थम रही थी। निर्भया कांड ने सभी माता-पिता को झकझोर कर रख दिया था।
आज इसे 9 साल बीत गए। लेकिन, देश में महिला अपराध की स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं आया। अब भी रात के अंधेरे में एक नौकरी पेशा महिला को निकलने में डर लगता है। सभी अपनी सेफ्टी के बारे में 10 बार सोचती है। परिवार चिंतित रहता है। आज भी न जाने कितनी लड़कियां और महिलाएं रोजाना ऐसी दरिंदगी का शिकार होती है।
क्या कहते है आंकड़ें?
9 सालों में क्या बदला? इस बात का पता लगाने के लिए आज तक के सहयोगी क्राइम तक ने "सेफ इंडिया" नाम से एक सर्वे कराया। हालांकि ये सर्वे ऑनलाइन आयोजित किया गया, जिसमें सबसे ज्यादा युवा सामने आए और उन्होंने अपना पक्ष रखा। जब नतीजे सामने आए तो, सभी हैरान रह गए।
कौन क्या मानता है?
- देश में लड़कियां पूरी तरह से सुरक्षित हैं- 12.2%
- देश में लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं - 49.7%
- महिलाएं कुछ-कुछ हद तक सुरक्षित हैं- 38.1%
किस उम्र के युवा शामिल थे
- 15 से 28 साल के उम्र के - 54.7% लोग थे।
- 29 से 41 साल के उम्र के - 34.5% लोग थे।
- 42 साल से ज्यादा उम्र के -10.9% लोग थे।
- सबसे ज्यादा नौकरीपेशा और काम करने वाले लोग सामने आए।
परिवार के लोगों से है खतरा
सर्वे की मानें तो, लड़कियों और महिलाओं पर बुरी नजर रखने वाले लोगों में सबसे ज्यादा उनके पहचान और परिवार वाले घर के लोग शामिल होते है। महिलाओं के प्रति बुरी नजर रखने वाले पहचानवाले और करीबी लोगों की संख्या करीब 67 प्रतिशत है