बयान : वित्त मंत्री ने कहा, पिछले छह वर्षों में पाकिस्तान के 2838 लोगों को नागरिकता दी गई

बयान : वित्त मंत्री ने कहा, पिछले छह वर्षों में पाकिस्तान के 2838 लोगों को नागरिकता दी गई

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-19 10:35 GMT
बयान : वित्त मंत्री ने कहा, पिछले छह वर्षों में पाकिस्तान के 2838 लोगों को नागरिकता दी गई
हाईलाइट
  • 2016 से 2018 के बीच 1595 पाक शर्णार्थियों को नागरिकाता
  • CAA के खिलाफ चल रहे राष्ट्रव्यापी विरोध के बीच
  • वित्त मंत्री का बयान
  • सीतारमण ने कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान पाक के 2838 लोगों को नागरिकता दी

डिजिटल डेस्क, चेन्नई। नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ चल रहे राष्ट्रव्यापी विरोध के बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान सामने आया है। सीतारमण ने रविवार को कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान पाकिस्तान के 2838 लोगों को नागरिकता दी गई। चेन्नई में CAA को लेकर आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ये बात कही है।सीतारमण ने ये भी कहा कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को हर 10 साल पर अपडेट किया जाएगा और इसका नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) से कोई लेना-देना नहीं है। 

इन्हें दी गई भारतीय नागरिकता
निर्मला सीतारमण ने कहा, "नागरिकता संशोधन अधिनियम लोगों को बेहतर जीवन प्रदान करने का एक प्रयास है। हम किसी की नागरिकता नहीं छीन रहे हैं, बल्कि हम लोगों को नागरिकता प्रदान कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "पिछले छह वर्षों में 2838 पाकिस्तानी शरणार्थियों, 948 अफगानी शरणार्थियों, 172 बांग्लादेशी शरणार्थियों को नागरिकता दी गई। 1964 से 2008 तक 4,00,000 से अधिक तमिलों (श्रीलंका से) को भी भारतीय नागरिकता दी गई है।

2016 से 2018 के बीच 1595 पाक शर्णार्थियों को नागरिकाता
सीतारमण ने कहा, "पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के 566 मुसलमानों को 2014 तक भारतीय नागरिकता दी गई थी। जबकि 2016 से 2018 में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 1595 पाकिस्तानी शरणार्थी और 391 अफ़गानी मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता दी गई। वित्तमंत्री ने कहा, "2016 में इसी अवधि के दौरान, अदनान सामी को भारतीय नागरिकता दी गई थी। यह एक उदाहरण है।"

सीतारमण ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान से आए लोगों को देश के विभिन्न शिविरों में बसाया गया है। वे अभी भी वहां हैं और अब 50-60 साल हो गए हैं। यदि आप इन शिविरों का दौरा करते हैं, तो आपका दिल रोने लगेगा। श्रीलंका के शरणार्थियों के साथ भी स्थिति समान है जो शिविरों में रह रहे हैं। उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही है।

 

 

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