सात साल पुराना रहस्य: 7 साल बाद मिला वायुसेना का लापता विमान, चेन्नई तट के पास एयूवी को मिला मलबा
- चेन्नई स्थित राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान
- स्वचालित अंडरवाटर वाहन का नियमित परीक्षण
- 22 जुलाई 2016 को चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर उड़ान दौरान लापता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चेन्नई स्थित राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा हाल ही में अधिग्रहीत स्वचालित अंडरवाटर वाहन (एयूवी) के नियमित परीक्षण के दौरान एक बड़ा मलबा मिला, जिसने आखिरकार भारतीय वायु सेना के लापता परिवहन विमान के सात साल पुराने रहस्य को सुलझा लिया। आपको बता दें आज से सात साल पहले 22 जुलाई 2016 को चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के लिए उड़ान भर रहा एएन-32 परिवहन विमान अचानक लापता हो गया था, जिसमें 29 लोग सवार थे। AUV समुद्र के नीचे के क्षेत्र की खोज करते समय तस्वीरें और वीडियो लेता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि अब उन तस्वीरों के दुर्घटनाग्रस्त एएन-32 की होने की पुष्टि हुई है।
6,000 मीटर की गहराई तक गहरे समुद्र में अन्वेषण के लिए उपयोग की जाने वाली AUV को लगभग छह महीने पहले NIOT द्वारा अपने उपयोग के लिए नॉर्वे से आयात किया गया था, और परीक्षण और प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए पिछले सप्ताह बंगाल की खाड़ी में उतारा जा रहा था, जब इसमें कुछ धातु के हिस्से दिखे।
एनआईओटी के लोगों ने सबसे पहले तीन रंगों वाला एक च्रक देखा था, पहले वो इसे किसी जहाज के मलबे का अलशेष मान रहे थे। उन्होंने आस पास के कुछ इलाकों में भी तलाशी ली। उन्हें वहां कुछ धातु के टुकड़े दिखे। उन्होंने इसकी जानकारी भारतीय नौसेना और वायुसेना को दी। भारतीय वायुसेना ने इसे अपने विमान के रूप में पहचाना। जैसा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने एक अंग्रेजी न्यूज पेपर को बताया ।
विमान के लापता होने के तुरंत बाद खोज अभियान का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, विमान और जहाजों द्वारा बड़े पैमाने पर खोज और बचाव अभियानों से किसी भी लापता कर्मी या विमान के मलबे का पता नहीं चल सका। उस समय भी एनआईओटी की मदद मांगी गई थी, लेकिन उसके पास उस तरह के उपकरण नहीं थे, जैसे अब हैं। यह अवशेष चेन्नई तट से लगभग 300 किलोमीटर दूर समुद्र में पाया गया।
एयूवी की यह पिछले सप्ताह पूरी तरह से आकस्मिक खोज थी। यह वहां खोजने नहीं गया था। पहले भी अपने परीक्षणों के दौरान समुद्र में गई थी। इस बार जब वह समुद्र की सतह से लगभग 3,400 मीटर नीचे था, तो उसे मलबा दिखाई दिया। रक्षा मंत्रालय ने खोज छवियों की जांच की गई और उन्हें दुर्घटनाग्रस्त विमान एएन-32 विमान के अनुरूप पाया।