मालदीव के राष्ट्रपति का दौरा: विरोध के बाद क्यों दौड़े दौड़े भारत आए मुइज्जू, चीन समर्थक के दूसरे दौरे में छुपे हैं ये पांच गणित
- भारत के खिलाफ बयानबाजी के बाद मुइज्जू आए भारत
- पीएम मोदी से की मोहम्मद मुइज्जू ने मुलाकात
- मालदीव राष्ट्रपति 4 दिवसीय दौरे पर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू इस साल के अंदर-अंदर दूसरी बार भारत के दौरे पर आए हुए हैं। वह आज (7 अक्टूबर) ही अपने को चार दिवसीय दौरे के लिए भारत पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में मुइज्जू का स्वागत किया। फिलहाल दोनों नेताओं की बैठक जारी है। राष्ट्रपति ने भारत पहुंचकर एक इंटरव्यू में कहा कि मालदीव ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे भारत की सुरक्षा हानि पहुंचे। भारत-मालदीव के रिश्तों पर मुइज्जू द्वारा दिए गए इस तरह के बयान को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। सोचने वाली बात यह है कि चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू भारत से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश आखिर क्यों कर रहे हैं? ऐसी क्या मजबूरी हो गई कि कई बार भारत विरोधी बयान देने और इंडिया आउट कैंपेन चलाने के बावजूद भारत में आने की जरूरत पड़ी?
पीएम मोदी ने किया मुइज्जू का वेल्कम
राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज्जू रविवार (7 अक्टूबर) को भारत पहुंचे जहां प्रधानमंत्री मोदी ने उनका स्वागत किया। मालूम हो कि, यह मुइज्जू का भारत में इसी साल का दूसरा दौरा है। इससे पहले वह जुलाई में भारत आए थे।
#WATCH | Delhi: Prime Minister Narendra Modi receives Maldives President Mohamed Muizzu at Hyderabad House. The two leaders are holding a meeting here.(Video: DD News) pic.twitter.com/P3oE9MVRay— ANI (@ANI) October 7, 2024
एक साल में 2 दौरे के पीछे का गणित
मोहम्मद मुइज्जू को यह समझ आने लगा है कि मावदीव भारत से रिश्ता खराब कर के अपना बेहतर भविष्य निश्चित नहीं कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मालदीव भारत पर कई तरह से निर्भर है। मालदीव का मुख्य रूप से आय का स्रोत (Income Source) टूरिज्म है। हर साल भारी संख्या में भारतीय मालदीव घूमने जाते हैं जिससे उन्हें काफी फायदा होता है। आपको बता दें कि, कुछ समय पहले मालदीव के कुछ मंत्रियों ने पीएम मोदी पर आपत्तिजनक बयान दिया था जिसके चलते मालदीव घूमने जाने वाले भारतीयों की संख्या में भारी गिरावट आई थी। इसी वजह से वहां के टूरिस्ट सेक्टर पर भारी असर पड़ा था।
भारतन ने मालदीव को 52 करोड़ रुपये दिए ताकि वहां कैंसर हॉस्पिटल बन सके। बता दें कि, उस अस्पताल का नाम इंदिरा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल है।
भारत साल 1988 से मालदीव की डिफेंस और सिक्योरिटी सेक्टर को मदद करता आ रहा है। भारत का मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स (एमएनडीएफ) की डिफेंस ट्रेनिंग के बहुत बड़ा योगदान है। जहां ट्रेनिंग का 70 परसेंट सामान भारत की ओर से जाता है। जानकारी के मुताबिक, पिछले दस सालों में एमएनडीएफ के 1500 से भी ज्यादा सैनिकों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। ग्रेटर माले परियाजना के लिए इंडिया ने 80 करोड़ डॉलर की बड़ी राशी मालदीव को दी है।
भारत ने एजुकेशन सेक्टर में भी मालदीव की मदद की थी। जहां भारत ने साल 1996 में मालदीव में टेक्निकल एजुकेशन इंस्टीट्यूट बनवाने में सहयोग दिया था।