भारत सरकार की 'चावल पॉलिसी' का दुनियाभर के लोगों की जेबों पर पड़ रहा प्रभाव, जानिए क्या है मोदी सरकार की रणनीति
- घरेलु स्तर पर चावल के दाम को नियंत्रण में रखने के लिए बनी पॉलिसी
- दुनिया में तेजी से बढ़ रहे चावल के दाम
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। भारत सरकार ने बीते महीने ही चावल की कीमतों को नियंत्रित रखने की लिए गैर-बासमती सफेत चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। यह पहला मौका नहीं है जब मोदी सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक लगाया है। घरेलु स्तर पर चावल की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए पहले भी प्रतिबंध लगाने का काम सरकार ने किया है। भारत सरकार के इस फैसले से भारत के लोगों को राहत तो मिल रही है लेकिन दुनिया भर में चावल की कीमतों पर बड़ा असर देखने को मिल रहा है।
मोदी सरकार के फैसले के बाद वैश्विक स्तर पर चावल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यही नहीं जानकारों का मानना है कि निर्यात पर रोक लगाने के मोदी सरकार के फैसले का असर जल्द ही दुनियाभर में देखने को मिलेगा। जिसकी मुख्य वजह यह है कि भारत दुनिया के कुल उत्पादन में 40 फीसदी करोबार का हिस्सेदार है। चावल के कारोबार में दुनिया में हिस्सेदारी की बात करें तो भारत के बाद थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका का नंबर आता है।
खरीददारी को लेकर सीमा तय
मोदी सरकार के निर्णय के बाद दुनिया के कई देशों में अभी से ही हाल यह है कि लोग पैनिक स्थिति में चावल की खरीदारी कर रहे हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में तो सुपरमार्केट्स पर चावल की खरीददारी को लेकर सीमा तय कर दी गई है। ताकि लोग चावल की अधिक मात्रा में खरीददारी न कर सकें।
आईएमएफ ने किया भारत से आग्रह
भारत सरकार द्वारा चावल निर्यात को लेकर लिए गए फैसले की वजह से दुनिया भर में चावल की बढ़ रही कीमतों को देखते हुए आईएमएफ ने भी भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के फैसले को हटा दे।
बता दें भारत सरकार ने बीते साल भी बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके बाद से ही दुनियाभर में खासकर चावल की खपत करने वाले देशों में टेंशन बढ़ गई थी। भारत सरकार के इस फैसले के बाद से ही चावल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। जून 2022 से अब तक ग्लोबल मार्केट में 14 प्रतिशत चावल की कीमतें बढ़ी है।
दुनिया भर मे चावल की डिमांड तेजी से बढ़ी है। वहीं फिलहाल नई फसल के तैयार होने में समय हैं। अनुमान यह लगाया जा रहा है कि सप्लाई कम होने की वजह से भी चावल की कीमतों में इजाफा होगा।
भारत सरकार घरेलु स्तर पर कीमतों को नियंत्रण रखने के लिए समय-समय पर प्रतिबंध लगाने का काम करते रहती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। वहीं घरेलु स्तर पर चावल की खपत भी अधिक है इसलिए देश में चावल की कीमतों पर नियंत्रण रखना सरकार की पहली प्रथमिकता होती है।