चौथे दौर की बातचीत बेनतीजा: किसानों ने नहीं माना सरकार का प्रस्ताव, 23 फसलों पर एमसपी की मांग, अब 21 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे किसान
- किसानों के साथ केंद्र सरकार की चौथे दौर की बातचीत विफल
- अब 21 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे किसान
- किसानों ने नहीं माना सरकार का प्रस्ताव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। किसान आंदोलन जारी रहेगा। केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ हुई किसान संगठनों के बीच चौथे दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसान संगठनों की ओर से सोमवार रात को प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया गया। जिसमें किसानों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
रविवार को केंद्र सरकार से बातचीत करने के बाद किसान संगठनों ने कहा था कि हमने सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा की। सरकार की ओर से हमें जो प्रस्ताव मिले हैं। उसमें कुछ खास नहीं है।
एमएसपी लागू करें सरकार- किसान
किसान संगठनों ने कहा कि एमएसपी कानून लागू करने से किसानों पर किसी भी तरह का बोझ नहीं पड़ रहा है। किसान आंदोलन में शामिल संगठनों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को सीधे तौर पर खारिज कर दिया है। किसान अभी अपनी मांग पर अड़े हैं। उन्होंने कहा है कि हमें सरकार का प्रस्ताव मंजूर नहीं है।
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि केंद्र सरकार पूरे देश की 23 फसलों पर एमएसपी कानून लागू करें। प्रस्ताव में किसानों के हित का ध्यान रखा जाना चाहिए। केंद्र सरकार की ओर गए प्रस्ताव को हम रद्द करते हैं। किसान नेता पंढेर ने कहा कि सरकार की नियत में खोट है। हम सभी किसानों को एमएसपी गारंटी चाहिए।
अब दिल्ली कूच करेंगे किसान
पंढेर ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह बैठक में जाते हैं तो सरकार की ओर से मंत्री 3 घंटे बाद आते हैं। इससे साफ पता लगता है कि सरकार मुद्दे को लेकर कितना गंभीरता दिखा रही है। पंढेर ने कहा कि किसान 21 फरवरी को 11 बजे शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
20 फरवरी तक हरियाणा में बढ़ा इंटरनेट बैन
इधर, किसान आंदोलन के बढ़ते तनाव को देखते हुए हरियाणा के सात जिलों में सरकार ने 20 फरवरी तक इंटरनेट बैन कर दिया है। हरियाणा बॉर्डर पर किसान लगातार डटे हुए हैं। आंदोलन में अब तक तीन किसान और एक जीआरपी की मौत हो चुकी है।
चौथे प्रस्ताव में हुई ये बातें
रविवार को गोयल ने कहा, "नेशनल कोऑपरेटिव कंज़्यूमर्स फ़ेडरेशन (एनसीसीएफ़) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फे़डरेशन ऑफ़ इंडिया (नेफ़ेड) जैसी कोऑपरेटिव सोसाइटियां उन किसानों के साथ समझौता करेंगी, जो तूर, उड़द, मसूर दाल या मक्का उगाएंगे और फिर उनसे अगले पांच साल तक एमएसपी पर फसलें खरीदी जाएंगी।" जिस पर किसान नाखुश दिखे हैं।