पोर्श कार केस: कांग्रेस नेता ने की सीबीआई जांच की मांग, दावा - एक्सीडेंट के समय कार में विधायक का बेटा भी था सवार

  • पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में नए दावे
  • नाना पटोले ने की सीबीआई जांच की मांग
  • दावा - एनसीपी विधायक का बेटे कार में था सवार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-29 05:53 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट केस में नए दावे किए जा रहे हैं। हर दिन हो रहे नए खुलासे के बीच प्रदेश कांग्रेस ने एनसीपी पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। कांग्रेस ने दावा किया है कि कार एक्सीडेंट के समय एनसीपी के एक विधायक का बेटा भी कार में सवार था। इस मामले में विपक्षी पार्टियां राज्य सरकार पर लगातार कई आरोप लगाते हुए आ रही है। विपक्षी दलों के नेताओं ने घटना के बाद आधी रात को थाने में एनसीपी विधायक सुनील तांगरे के मौजूदगी पर भी सवाल उठाया था। एक बार फिर विपक्ष ने राज्य सरकार पर कार एक्सीडेंट के आरोपियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 19 मई को रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को कुचल दिया था। इस दोनों इंजीनियरों की मौत हो गई। हिट एंड रन के इस मामले में 14 घंटे बाद कोर्ट ने आरोपी नाबालिग को सशर्त जमानत दी थी। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था। नाबालिग इस समय सुधार गृह में है।

अजित पवार पर भी उठाए सवाल

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने इस मामले में एनसीपी पर नए आरोप लगाए हैं। उन्होंने डिप्टी सीएम अजित पवार पर भी सवाल खड़े किए हैं, साथ ही सीबीआई जांच की मांग की है। नाना पटोले ने दावा किया है कि एक्सीडेंट के समय एनसीपी के एक विधायक का बेटा भी कार में सवार था। उन्होंने कहा कि सरकार को कार में सवार दूसरे लड़के के बारे में खुलासा करना चाहिए। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि डिप्टी सीएम अजय पवार ने आरोपियों को बचाने के लिए कमिश्नर को कॉल किया था।

उन्‍होंने कहा, "शराब और नशीली दवाओं का सेवन करने वाले लोगों द्वारा चलाई जा रही तेज रफ्तार कारों के नीचे आम लोगों को बेरहमी से कुचला जा रहा है। पुणे, नागपुर और जलगांव में ऐसे हादसे हो चुके हैं। सबसे क्रोधित करने वाला पहलू यह है कि सरकारी तंत्र द्वारा आरोपियों को जमानत दिलाने में मदद करने के प्रयास किए गए, इसलिए सीबीआई इस मामले को अपने हाथ में ले।"

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