केंद्र की नई गाइडलाइन: अब किसी को 100 फीसदी सिलेक्शन और नौकरी का दावा नहीं कर पाएंगे कोचिंग संस्थान, बिना इजाजत के टॉपर्स की फोटो छापना भी गैरकानूनी

  • कोचिंग सेंटर्स को लेकर केंद्र ने जारी की नई गाइडलाइन
  • टॉपर्स की इजाजत के बगैर नहीं कर सकते नाम और फोटो का यूज
  • भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए उठाया गया कदम

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-13 16:32 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोचिंग सेंटरों के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को नई गाइडलाइन जारी की है। जिसके मुताबिक अब कोचिंग संस्थान 100 फीसदी नौकरी और चयन का दावा नहीं कर सकते हैं। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने बताया कि कोचिंग सेंटर अब ऐसे झूठे दावे नहीं कर सकते जो उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकते हैं।

शिकायतों के बाद सरकार ने किया फैसला

सरकार ने यह फैसला उनके पास आई कई शिकायतों के बाद किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक सरकार की ओर से कोचिंग संस्थानों को 54 नोटिस जारी किए गए हैं। इसके अलावा कई कोचिंग संस्थानों पर लाखों का जुर्माना भी लगाया गया है। साथ ही उन्हें ऐसे भ्रम पैदा करने वाले विज्ञापनों को वापस लेने का आदेश भी दिया गया है।

सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइन एकेडमिक सपोर्ट, एजुकेशन, गाइडेंस और ट्यूशन सर्विस से जुड़े सभी संस्थान और कोचिंग सेंटरों पर मान्य होगी। यदि किसी ने इस गाइडलाइन का पालन नहीं किया तो उस पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत एक्शन लिया जाएगा।

इस मामले पर कंज्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी का कहना है, 'हमने देखा कोचिंग सेंटर्स जानबूझकर स्टूडेंट्स को लुभाने के लिए सच्चाई छिपाते हैं। यही वजह है कि हमें कोचिंग इंडस्ट्री के लिए ये गाइडलाइन लानी पड़ी। सरकार कोचिंग सेंटर्स के खिलाफ नहीं है, लेकिन किसी भी एडवर्टाइजमेंट की क्वालिटी कंज्यूमर राइट्स के खिलाफ नहीं हो सकती।'

गाइडलाइन की प्रमुख बातें

  • कोई भी कोचिंग सेंटर अपने कोर्सेज, उनकी अवधि, फैकल्टी, फीस, सिलेक्शन रेट और रिफंड आदि को लेकर भ्रामक वादे नहीं कर सकता है।
  • कोचिंग सेंटर्स जॉब सिक्योरिटी और सैलरी बढ़ने की गारंटी नहीं दे सकता।
  • कोचिंग संस्थान टॉपर की परमिशन के बिना उसका नाम और फोटो इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
  • कोचिंग सेंटर्स को अपने कोर्सेज से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियां छात्रों के साथ साझा करनी होंगी।
  • अब से कोचिंग सेंटर्स यह बताने के लिए बाध्य होंगे कि उनका कोर्स एआईसीटीई या फिर यूजीसी जैसी किसी अथॉरिटी से मान्यता प्राप्त है या नहीं। 
Tags:    

Similar News