दिल्ली शराब नीति: अरविंद केजरीवाल के पक्ष में अभिषेक मनु सिंघवी ने दी ये मजबूत दलीलें, जिन्होंने पांच महीने बाद केजरीवाल को दिलाई जमानत

  • इन दलीलों ने केजरीवाल को दिलाई बेल
  • सीबीआई की तरफ से पेश हुईं कौन सी दलीलें?
  • सशर्त मिली केजरीवाल को जमानत

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-13 09:09 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली शराब मामले में दिल्ली के सीएम और आम आदमी के नेता अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद अब उनको जमानत मिल गई है। आप नेताओं को जमानत दिलाने में उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी की मजबूत दलीलों का अहम रोल रहा है। ईडी की अंतरिम जमानत के बाद शुक्रवार को सीबीआई मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी की मजबूत दलीलें काम आई हैं। सीबीआई की दलीलें भी टिक नहीं पाईं। उनकी जमानत की राह आसान बनाने में  केजरीवाल की एक दलील बहुत ही दमदार मानी जा रही है।

क्या थीं सिंघवी की दलीलें?

देर से सक्रीय हुई सीबीआई

सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआई के काम पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सीबीआई तब सावधान हुई जब केजरीवाल को दिल्ली के राउज ऐवेन्यू कोर्ट से जमानत मिली। कोर्ट में सिंघवी की दलील थी कि सीबीआई ने केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर अगस्त 2022 में की थी। केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए तब सतर्क हुई जब उनको लोअर कोर्ट से जमानत मिल गई थी। हाई कोर्ट ने तो उनकी जमानत पर रोक लगाई लेकिन इसके बाद सीबीआई जेल से केजरीवाल को कोर्ट लाई और गिरफ्तार किया।

सीबीआई पर कसा तंज

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और सीबीआई, दोनों मामलों में अभी तक केजरीवाल की गिरफ्तारी को गलत नहीं माना है। कोर्ट ने सीबीआई के काम के तरीके को लेकर सवाल उठाए हैं। क्योंकि अरविंद केजरीवाल 5 महीने बाद जेल से बाहर आने वाले हैं। सिंघवी ने इस दौरान सीबीआई के आरोपों को खारिज करते हुए सीबीआई पर तंज कसते हुए कहा कि जांच में सहयोग करने का मतलब यह नहीं होता है कि आरोपी खुद को दोषी ठहराए और अपराधों को कबूल करे।

अरविंद केजरीवाल की कि जल्दबाजी में 'बीमा गिरफ्तारी'

सुप्रीम कोर्ट दिल्‍ली शराब नीति मामले में कई आरोपियों को जमानत दे चुका था। ऐसे में पूरी संभावना थी कि अरविंद केजरीवाल को भी जमानत मिल जाएगी और ऐसा हुआ भी। मामले की सुनवाई के दौरान सिंघवी ने दलील दी, सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को एफआईआर दर्ज होने के बाद दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी रिहाई को रोकने के लिए जल्दबाजी में 'बीमा गिरफ्तारी' की। उन्होंने कहा था कि सीबीआई ने केजरीवाल को उनके असहयोग और टालमटोल वाले जवाब के लिए गिरफ्तार किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं, जिनमें कहा गया है कि जांच में सहयोग करने का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि आरोपी खुद को दोषी ठहराए और कथित अपराधों को कबूल कर ले। सिंघवी ने कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन संवैधानिक पदाधिकारी केजरीवाल ने जमानत देने के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूरा किया है। उनके भागने का खतरा नहीं है, वह जांच एजेंसी के सवालों का जवाब देने के लिए आएंगे और दो साल बाद लाखों पन्नों के दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं। 

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