हार पर समीक्षा बैठक: बीजेपी के नेताओं ने भी माना भारी पड़ा कांग्रेस का नेरेटिव, संविधान की खातिर लोगों ने किया वोट, अब क्या होगी आगे की रणनीति?

  • लोकसभा के नतीजों में मन दुखी
  • क्या है इसकी वजह?
  • आपसी कलह का क्या पड़ा असर?

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-16 08:08 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे मन मुताबिक ना होने की वजह से बीजेपी को थोड़ा दुख हुआ था। जिसके चलते कई राज्यों में पार्टी कार्यसमिति की बैठकें कर रही है। जिनमें चुनाव के नतीजों की आलोचना की जा रही है। यूपी, राजस्थान के साथ-साथ अन्य राज्यों में अभी तक मीटिंग्स हो चुकी हैं। जिसमें कुछ रोचक सवाल उठे हैं जैसे भाजपा को चुनाव में ऐसे नतीजे किस कारण से देखने पड़े हैं। इन बैठकों में राज्य के नेतागण के अलावा केंद्रीय स्तर से भी नेताओं को भी पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा जा रहा है। यूपी के पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने आप मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक समीक्षा बैठकों में करीब 6-7 बातें सामने आई हैं। जिसके चलते बीजेपी को इस हार का सामना करना पड़ा है।

मीटिंग्स में सामने आई ये बातें

इन मीटिंग्स में सभी ने इस बात पर सहमति जताई है कि विपक्ष की ओर से संविधान बदलने और उसके आधार पर आरक्षण को खत्म करने की अफवाह फैलाई है। जिसका असर यूपी, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में साफ नजर आ रहा था, जहां ओबीसी और दलित वर्ग की अच्छी खासी आबादी है। उत्तर प्रदेश की मीटिंग में ये बात उठाई गई थी। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी इस बात पर चर्चा की गई थी। जिस पॉर महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने भी कहा कि इन अफवाहों के चलते ही नतीजे खराब आए हैं।

बीजेपी की मीटिंग्स में ये भी सामने आया है कि इस बार की लोकसभा चुनाव में विदेशी ताकतों की भी दखलअंदाजी थी। राजस्थान में भी हुई समीक्षा बैठक में ये सवाल खड़ा हुआ था। शिवराज सिंह चौहान और विनय सहस्त्रबुद्धे की मौजूदगी में मीटिंग रखी थी। जिसमें इन्होंने भी माना कि इन चुनावों में विदेशी हाथ था। ऐसा माना जा रहा है कि विदेशी ताकतें चाहती हैं कि भारत से बीजेपी और मोदी का शासन खत्म हो जाए।

चुनाव नतीजे के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को परजीवी कहा था। उनका कहना था कि कांग्रेस कुछ नहीं कर रही है सिर्फ और सिर्फ साथी दलों की मदद से आगे बढ़ रही है। सभी समीक्षा बैठकों में एकसुर में कहा गया है कि कांग्रेस की 99 सीटें भी गठबंधन की वजह से ही मिली हैं। इसके साथ ही यूपी महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गठबंधन का फायदा देखने मिला है। इसके अलावा सरकार के खिलाफ जाने वाला वोट जब एक साथ आया तो भाजपा को नुकसान झेलने को मिला और फायदा कांग्रेस उठा ले गई।

विपक्ष का सवाल

भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार कितने दिन चलेगी? विपक्ष की तरफ से ये सवाल कई बार उठाया जाता है। लेकिन भाजपा हमेशा से बोल रही है कि सहयोगी दल मजबूती से उसके साथ खड़े हैं। टीडीपी और जेडीयू की मांगों पर बजट में जोर दिया जा सकता है।

मोदी पर इसका क्या असर पड़ा है? नेताओं का क्या कहना है

चुनाव के नतीजों का असर क्या मोदी ब्रांड पर पड़ा है? ऐसे सवाल खड़े किए गए हैं। जिसका जवाब बीजेपी के सभी नेताओं ने एकसाथ मिलकर दिए हैं। नेताओं का कहना है कि पार्टी ने आत्मविश्वास और आपसी कलह की वजह से नुकसान उठाया है लेकिन नरेंद्र मोदी का जलवा जनता के बीच पहले की तरह ही है। इतना ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र में तो देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा तक देने को तैयार हो गए थे साथ ही खराब नतीजों की भी जिम्मेदारी ली थी।

अतिआत्मविश्वास पड़ा भारी

अतिआत्मविश्वास के चलते भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि हम लोग अतिआत्मविश्वास में आ गए थे। जिसका नतीजा है कि चुनाव के नतीजों के बाद विपक्ष उन पर सवाल उठा रहा है।

आपसी कलह भी एक वजह

बीजेपी में आपसी कलह की बातें भी सामने आ रही हैं। जिसकी चर्चा समीक्षा बैठक में भी हुई थी। इसके अलावा यूपी में बीते कुछ दिनों पहले संगठन महामंत्री बीएल संतोष आए थे। जिसके चलते कई नेताओं ने कहा कि हमने आपसी कलह के चलते कई सीटों हाथ से जाने दिया। मुजफ्फरगर जैसी अच्छी और हाईप्रोफाइल सीट की भी खूब चर्चा हो रही है। ऐसा माना जा रहा है कि यहां संगीत सोम और संजीव बलियान के बीच आपसी कलह के चलते नतीजे खिलाफ आए थे। 

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