अलग अलग चित्रण और वर्णन: शुभ कार्य करने से पहले घूंघट में महिलाएं करती है रावण की पूजा, जानिए किन किन जगहों पर लंकेश रावण की होती है पूजा
- मंदसौर में माना जाता है दामाद
- कर्नाटक में फसल महोत्सव के दौरान पूजा
- आदिवासी समुदाय रावण को मानता है पूर्वज
- रावण का वंशज मानते है जोधपुर के लोग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज विजयदशमी का पर्व है, जिसे देशभर में बड़े धूम धाम से मनाया जा रहा है। उत्तर भारत में कई जगहों पर बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर रावण का दहन किया जाता है। लेकिन दक्षिण भारत में कई जगहों पर रावण को पूजा भी जाता है और कई जगहों पर जलाया भी जाती है, लेकिन जहां जलाया जाता है वहां रावण दहन को दुर्गुणों का दहन मानते है। आज हम आपको बताएंगे कि किन किन स्थानों पर रावण की पूजा की जाती है।
उत्तर प्रदेश में कानपुर के शिवाला में दशानन मंदिर में विजयदशमी के अवसर पर रावण की पूजा की जा रही है। मंदिर में रावण भक्तों का तांता लगा हुआ है। रावण की मूर्ति पर तिलक लगाकर विधि विधान से पूजा संपन्न की जा रही है। साथ ही लोग एक दूसरे को तिलक लगा रहा है। और प्रसाद वितरित कर रहे है। लंकेश रावण को त्याग तपस्वी और बुद्धि का भगवान मानते हुए पूजा जाता है। और उनसे ज्ञान की सीख ली जाती है।
उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा जिले के बिसरख गांव में भी रावण का मंदिर है। गाजियाबाद शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर गांव बिसरख में रावण की पूजा की जाती है। इस गांव का नाम पहले विश्वेशरा था जो रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा था। अब इस गांव को बिसरख के नाम से जाना जाता है।
उत्तरप्रदेश के जसवंतनगर में दशहरे पर रावण की आरती कर पूजा की जाती है, फिर उसे टुकड़े टुकड़े कर उसके टुकड़ों को घर ले जाते और पूजा की जाती है।
जहां एक तरफ विजयादशमी पर रावण का दहन किया जाता है , वहीं दूसरी तरफ विजयादशमी को विद्यारम्भं पर्व के रूप में मनाते है। यानि पढ़ने लिखने सीखने के त्योहार के रूप में मनाते है। विद्यारम्भं पर्व को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सांसद शशि थरूर ने एक विशेष अवसर बताते हुए कहा कि पूरा भारत दशहरा विजयदशमी मनाता है लेकिन केरल में विजयादशमी का दिन सीखने की शुरुआत का दिन होता है इसलिए बच्चों को लिखना सिखाना बड़ों का काम है। मैं उन बच्चों को पढ़ाता हूं जो तीन भाषाओं में आते हैं, हम एक थाली में चावल के दाने रखते हैं और उनकी उंगलियों से हम उन्हें लिखवाते हैं।
पूरे देश में भगवान श्रीराम की पूजा कर रावण के पुतलों का दहन किया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश में कुछ जगह ऐसी भी है जहां दशहरे पर रावण की पूजा की जाती है। मध्यप्रदेश के विदिशा और मंदसौर में रावण की पूजा की जाती है, लोगों का मानना है कि मंदसौर का असली नाम दशपुर था, जो रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था। मंदसौर के रूंडी में रावण की प्रतिमा बनी हुई है, जहां रावण की पूजा की जाती है। शहर के मंदसौर नाम पड़ने की वजह भी यहीं बताई जाती है। यहां रावण को दामाद माना जाता है और यहां के निवासी उनके दहन की जगह पूजा करते है। मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के एक गांव चिखली में भी रावण की पूजा की जाती है।
मध्य प्रदेश के विदिशा से 35 किलोमीटर दूर स्थित नटेरन तहसील के रावण गांव में रावण की पूजा होती है। मंदिर में रावण की विश्राम अवस्था में विशाल काय मूर्ति है। गांव के लोग रावण को बाबा कहा जाता है। यहां एक परंपरा है कि गांव की विवाहित महिलाएं जब रावण मंदिर के सामने निकलती हैं तो घूंघट कर लेती हैं। विजयनदशमी ही नहीं गांव में हर रोज रावण की पूजा होती है, यहां के लोग किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत रावण पूजा से करते है। माना जाता है कि यहां रावण की मूर्ति के दर्शन से क्रोध शांत हो जाता है।
कर्नाटक के मंडया जिले के मालवल्ली और कोलार जिले में भी रावण की पूजा होती है, यहां लोग फसल महोत्सव के दौरान लंकेश राजा रावण की पूजा करते है।
राजस्थान के जोधपुर में रावण और मंदोदरी की पूजा की जाती है, यहां रावण और मंदोदरी का विवाह स्थल और मन्दिर है। लोगों की मान्यता है कि जोधपुर का मण्डोर रावण का ससुराल था। यहां कुछ लोग अपने आपको रावण का वंशज मानते है।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बैजनाथ कस्बा है। बैजनाथ में बिनवा पुल के पास रावण का मंदिर है। कांगड़ा जिले में लोग रावण का पुतला जलाना महापाप समझते है,यहाँ के निवासी पूरी श्रद्धा के साथ रावण की पूजा अर्चना करते है।
आंध्र प्रदेश के काकिनाड में एक शिवलिंग की स्थापना की थी। वहां इसी शिवलिंग के निकट रावण की भी प्रतिमा स्थापित है। यहां मछुआरा समुदाय शिव और रावण दोनों की पूजा करता है।
महाराष्ट्र के अमरावती के पास गढ़चिरौली गांव में अनुसूचित जनजाति समुदाय के द्वारा रावण की पूजा की जाती है। आदिवासी समुदाय रावण को अपना पूर्वज मानते है।