फर्जी जन्म प्रमाण पत्र केस: आजम खान और परिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, अदालत ने मंजूर की जमानत याचिका
- फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खान को राहत
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर की जमानत याचिका
- आजम खान और अब्दुल्ला नहीं आ पाएंगे जेल से बाहर
डिजिटल डेस्क, इलाहाबाद। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में यूपी के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी नेता आजम खान और उनके परिवार को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान, पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुला की जमानत याचिका मंजूर कर ली है। हाईकोर्ट ने आजम खान की सजा पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद आजम खान और अब्दुल्ला जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। सिर्फ पत्नी तंजीम फातिमा को ही फिलहाल जेल से छुटकारा मिलने वाला है। अन्य मामलों में मिली सजा के कारण आजम खान और अब्दुल्ला जेल में ही रहेंगे। बता दें कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने तीनों को सात साल की सजा सुनाई थी।
जेल में ही रहेंगे आजम खान और अब्दुल्ला
इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम फिलहाल जेल में ही रहेंगे। दरअसल, आजम खान को दो और मामले वहीं अब्दुल्ला को एक अन्य मामले में दो साल की सजा मिली है। साल 2019 में डूंगरपुर में घर तोड़ने और लूटने के मामले में रामपुर सेशन कोर्ट ने आजम खान को 7 साल की सुनाई थी। जौहर यूनिवर्सिटी में रामपुर नगर पालिका की सफाई मशीन रखने के एक अन्य मामले में दो साल की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में रामपुर कोर्ट रेगुलर बेल खारिज कर चुकी है जिस वजह से जेल से बाहर आने के लिए आजम और अब्दुल्ला को हाईकोर्ट से बेल लेनी होगी। आजम खान की पत्नी तंजीम फातिमा को सिर्फ फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में आरोपी बनाया गया था जिस वजह से हाईकोर्ट से मिली जमानत के बाद अब वह जेल से बाहर आ सकती हैं।
दो जन्म तिथि
अब्दुल्ला आजम ने 2017 विधानसभा चुनाव में यूपी के स्वार सीट से चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की थी। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद चुनावी फॉर्म में गलत उम्र बताने के आरोप में अब्दुल्ला के खिलाफ हाईकोर्ट में केस दायर किया गया। अब्दुल्ला पर विधायकी के लिए बिना उम्र का पैमाना पूरा किए चुनाव लड़ने का आरोप था जो कोर्ट में सही साबित हुआ। इस मामले में रामपुर के एमपी एमएलए कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम, आजम खान और तंजीम फातिमा को दोषी करार देते हुए तीनों को सात साल की सजा सुनाई थी।
दरअसल, एजुकेशनल सर्टिफिकेट में अब्दुल्ला आजम की जन्म तिथि 1 जनवरी 1993 में है वहीं जन्म प्रमाण पत्र में बर्थ डेट 30 सितंबर 1990 है। मामले जब कोर्ट में पहुंचा तो अब्दुल्ला की तरफ से पेश किया गया जन्म प्रमाण पत्र फर्जी साबित हुआ।