ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण के लिए पहुंची ASI की टीम, चार अलग-अलग टीमों में बंट कर रही हैं सर्वे
- ज्ञानवापी मस्जिद का होगा सर्वेक्षण
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम पहुंची
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। वाराणसी मेंभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ज्ञानवापी मस्जिद पहुंची है। आज (24 जुलाई) ASI ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने वाली है। हिंदू पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया, "आज ज्ञानवापी सर्वे होगा जो हम लोग के लिए अच्छा है। सर्वे सुबह से शुरू होगा और कब तक चलेगा ये कह नहीं सकते।"
सूत्रों के मुताबिक, ASI शाम 5 बजे तक ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण कर सकती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहुंचने के बाद से ही लोगों की भिड़ वहां जबरदस्त देखी जा रही है। सर्वेक्षण टीम को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौंपनी है। जिला कोर्ट के जज एके विश्वेश ने शुक्रवार (21 जुलाई) को मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
जानकारी के मुताबिक, ASI की टीम में 43 सदस्य हैं। साथ ही चार वकील भी हैं, जो सभी पक्षों के एक एक बताए जा रहे हैं। ASI टीम के साथ चार वादी महिलाएं भी ज्ञानवापी मस्जिद में मौजूद हैं।
चार टीमें बनाई गई
अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने चार अलग-अलग टीमें बनाकर सर्वेक्षण कर रही है। चारों टीमें अलग-अलग जगहों पर सर्वे करना स्टार्ट कर दिया है। जिसमें एक टीम पश्चिमी दीवार के पास, एक गुंबदों की, एक टीम मस्जिद के चबूतरे की और चौथी मस्जिद के परिसर की सर्वे कर रही है। खबरें ये भी हैं कि, अगर एएसआई को लगता है कि कुछ जगहों पर खुदाई करना है तो उसकी इजाजत है, लेकिन बिना किसी ढांचे को नुकसान पहुंचाए।
क्या है मामला समझें
साल 2021 के अगस्त महीने में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक याचिका दायर की थी। जिसमें पांचो महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की इजाजत मांगी थी
पांचों महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था। सिविल कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद पिछले साल तीन दिन तक सर्वे भी हुआ। इस सर्वे में हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है। लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को सिरे से नकारते हुए कहा था कि ये शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है जो सभी मस्जिदों में होता है।
शिवलिंग के मिलने का दावा करने वाले हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को तुरंत सील करने की मांग की थी। सेशन कोर्ट ने 'हिंदू पक्ष' के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सील करने का आदेश दिया, जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को जिला जज को ट्रांसफर कर इस याचिका पर नियमित सुनवाई कर, फैसला सुनाने का निर्देश दिया था। मुस्लिम पक्ष ने शीर्ष अदालत में ये दलील दी थी कि ये प्रावधान के अनुसार और उपासना स्थल कानून 1991 के परिप्रेक्ष्य में यह वाद पोषणीय नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई न हो। लेकिन कोर्ट ने उनकी बात न मानकर इसे सुनवाई योग्य माना था।
इसके बाद पांच याचिका दायर करने वाली महिलाओं में से चार ने इसी साल मई के महीने में जिला अदालत में एक प्रार्थना पत्र दायर किया था। जिसमें मांग की गई थी कि, ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का ASI से सर्वे कराया जाए। जिस पर वाराणसी जिला के जज एके विश्वेश ने 21 जुलाई को अपना फैसला सुनाते हुए ASI से सर्वे कराने का आदेश दिया था।