तिरुपति मंदिर विवाद: TTD बोर्ड के अध्यक्ष के फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी का विरोध, वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल को लेकर मोदी सरकार पर साधा निशाना

  • तिरुपति मंदिर मामले में बवाल जारी
  • टीटीडी बोर्ड के फैसले पर भड़के ओवैसी
  • केंद्र की मोदी सरकार पर साधा निशाना

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-02 04:00 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में तिरुमाला तिरुपति देवस्थनम (टीटीडी) बोर्ड में अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त हुए चेयरमैन बीआर नायडू के फैसले से सियासत तेज हो गई है। उन्होंने बुधवार को पदभार संभालने के बाद कहा था कि तिरुपति मंदिर परिसर में केवल हिंदू कर्मचारी ही काम करेंगे। दरअसल, आंध्र प्रदेश की टीडीपी सरकार ने बुधवार को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के लिए सदस्यों के साथ एक नए बोर्ड का गठन किया था। टीटीडी बोर्ड के चेयरमैन के इस फैसले पर अब AIMIM प्रमुख असदुद्दीन की प्रतिक्रिया सामने आई है।

केंद्र की मोदी सरकार पर ओवैसी की हमला

AIMIM प्रमुख ने टीटीडी बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष बीआर नायडू के बयान पर हमला बोला है। ओवैसी ने टीटीडी बोर्ड के नए चेयरमैन की आड़ में केंद्र की मोदी सरकार के प्रस्तावित वक्फ कानून पर प्रहार किया है।

सोशल मीडिया एक्स पर असदुद्दीन ओवैसी ने टीटीडी बोर्ड के अध्यक्ष बीआर नायडू के बयान को लेकर ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा, "तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के अध्यक्ष का कहना है कि तिरुमाला में केवल हिंदुओं को ही काम करना चाहिए। लेकिन मोदी सरकार वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों का होना अनिवार्य करना चाहती है। अधिकांश हिंदू बंदोबस्ती कानून इस बात पर जोर देते हैं कि केवल हिंदू ही इसके सदस्य होने चाहिए। जो नियम एक के लिए सही है वही दूसरे के लिए भी सही होना चाहिए, है न?"

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अन्य धर्मों के कर्मचारियों की तय हो सकती है भूमिका

दरअसल, टीटीडी के नए अध्यक्ष का जिम्मा संभालने के बाद बीआर नायडू ने तिरुपति मंदिर को लेकर बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था, "तिरुमाला में काम करने वाला हर व्यक्ति हिंदू होना चाहिए। यह मेरा पहला प्रयास होगा। इसमें कई मुद्दे हैं। हमें इस पर गौर करना होगा।"

इसके बाद उन्होंने कहा था कि वह आंध्र प्रदेश सरकार के साथ मंदिर परिसर में अन्य धर्मों से ताल्लुक रखने वाले कर्माचारियों के भविष्य में उनकी भूमिका को लेकर फैसला करेंगे। इसके अलावा नवनियुक्त टीटीडी चीफ ने यह भी कहा था कि अन्य धर्मों के कर्मचारियों को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) देने या अन्य विभागों में स्थानांतरित करने की संभावना पर विचार कर सकते हैं। 

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