लिव इन पर फैसला: इलाहाबाद हाई कोर्ट का लिव इन पर बड़ा फैसला, शादीशुदा महिला तलाक दिए बगैर नहीं रह सकती किसी अन्य के साथ

  • लिव इन रिलेशनशिप पर इलाहाबाद कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
  • विवाहित बिना तलाक के नहीं रह सकती किसी अन्य के साथ
  • कोर्ट में विवाहिता ने दायर की थी याचिका

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-12 18:15 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में लिव इन रिलेशनशिप मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर पति और पत्नी जीवित हैं और एक दूसरे को तलाक नहीं दिया है। तो दोनों में से कोई भी दूसरी बार शादी नहीं कर सकता है। इस पर कोर्ट ने साफ किया कि कानून के विरुद्ध संबंधों को न्यायालय का समर्थन नहीं दिया जा सकता हैं। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट में लिव इन में रह रही विवाहित की तरफ से दायर की गई याचिका को रद्द कर दिया है। कोर्ट में जस्टिस रेनू अग्रवाल ने यह फैसले सुनाते हुए कासगंज की एक विवाहित और अन्य याचिका को रिजेक्ट कर दिया है।

लिव इन रिलेशनशिप में थे पार्टनर

इस मामले में कोर्ट ने सुनावई के दौरान कहा कि शादीशुदा महिला अपने पति को तलाक दिए बगैर किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशीप में रहना अमान्य होगा। कोर्ट का मानना है कि इससे देश में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी, जिससे सामाजिक ताना-बाना का कोई अर्थ नहीं रहेगा। इस मामले में सुरक्षा के लिहाज से लिव इन पार्टनर की ओर से याचिका दायर की गई थी। याचिक में बताया गया था कि दोनों याचिकाकर्ता एक दूसरे के साथ लिव इन में रह रहे हैं। वहीं, उन्होंने सुरक्षा के लिए कासगंज एसपी से मांग की थी। लेकिन, सुनवाई न होने के चलते उन्होंने याचिक दायर की थी । कोर्ट में सुनवाई के वक्त दूसरे याचिकाकर्ता की पत्नि के वकील ने उसके साथ शादी के प्रणाम के तौर पर आधार कार्ड पेश किया। वहीं, कोर्ट में बताया गया था कि पहली याचिकाकर्ता का एक पति से विवाह हो चुका है। 

हालांकि, दोनों याचिकाकर्तां ने अपने पति या पत्नी को तलाक नहीं दिया है। विवाहित याचिकाकर्ता का एक बेटे भी हैं, जो दूसरे याचिकाकर्ता के संग लिव इन रिलेशनशिप में रह रही हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे अमान्य करार दिया है। कोर्ट ने याचिका पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए रद्द कर दिया है।

 

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